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झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कहा कि पार्टी इसी शर्त पर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने की शुभकामना देगी, जब वे संसद के पहले अधिवेशन में चार बातों पर मुहर लगाएंगे। ये चार बातें-सरना धर्म कोड और 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का प्रस्ताव, अग्निवीर योजना को समाप्त करना, सरकारी विभागों में रिक्त 50 लाख पदों पर विज्ञापन जारी करने और महंगाई कम करने के साथ राज्यों को जीएसटी का पैसा लौटाने से संबंधित है।
उक्त बातें पार्टी के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कही। इस दौरान उन्होंने संसद में दिए कार्यकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि एनडीए का नेता चुने गए कार्यकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो भाषण दिया, वह साफ बताता है कि वे नैतिक तौर पर पीएम के दावेदार नहीं रहे। जबरन वे तीसरी बार सरकार बनाने का काम करने जा रहे ।
भाजपा नेता कहते हैं कि पूर्व पीएम नेहरू के बाद कोई नेता तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेगा। वास्तविकता यही है कि साल 1962 में जवाहरलाल नेहरू ने तीसरी बार शपथ ली थी, तब जनादेश की ऐसी स्थिति नहीं थी। देश को तत्कालीन पीएम पर भरोसा था। आज देश के लोगों को पीएम पर विश्वास नहीं है। झामुमो नेता ने कहा, पिछले दस वर्षों के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार एनडीए का नाम लेने को मजबूर हुए। अपने भाषण में उन्होंने एक बार भी भाजपा का नाम नहीं लिया। वे कहते दिखे कि जो बीज पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, बाला साहेब ठाकरे, प्रकाश सिंह बादल, जार्ज फर्नांडीज ने लगाया, उसी का यह वृक्ष है। दस वर्षों में नरेंद्र मोदी पहली बार एनडीए के पुराने नेताओं का नाम लेने को मजबूर हुए। एक बार भी उन्होंने यह नहीं कहा कि यह मोदी की गारंटी है। सुप्रियो ने यह भी कहा कि उनके भाषण के दौरान बने मंच पर एनडीए के सभी नेताओं को जगह दी गई, लेकिन झारखंड से गठबंधन में शामिल आजसू नेता सुदेश महतो को नहीं। यह दर्शाता है कि झारखंड के प्रति नरेंद्र मोदी की सोच क्या है।
जल्द दिखेगा एनडीए में आपसी अंतर्कलह
नीतीश कुमार द्वारा पीएम के पैर लगने पर तंज कसते हुए झामुमो नेता ने कहा कि क्या उनके खिलाफ भी कोई फाइल तैयार है। वहीं, यह भी दावा किया कि यह सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाली। जल्द ही इसमें आपसी अंतर्कलह दिखेगा। सुप्रियो ने कहा कि नीतीश कुमार को बताना होगा कि जाति जनगणना होगी कि नहीं। एनडीए के चुने गए राज्य के नौ सांसदों को यह बताना होगा कि सरना धर्म कोड जातीय जनगणना का हिस्सा होगा कि नहीं होगा। चंद्रबाबू नायडू को बताना होगा कि सीएए और एनआरसी लागू होगा कि नहीं।
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