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यूपीपीएससी, UPPSC
– फोटो : अमर उजाला
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प्रदेश भर के 554 राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रिंसिपल के पद खाली हैं। इन पदों को भरने के लिए शासन स्तर से पहल नहीं की जा रही है। इसमें से अधिकतर पद पदोन्नति से भरे जाने हैं। लेकिन उसके लिए करीब आठ वर्ष से डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी (डीपीसी) की बैठक नहीं हुई है। ऐसे में इन विद्यालयों में शिक्षण व्यवस्था बेपटरी है और प्रभारी के भरोसे प्रशासनिक कार्य संचालित किए जा रहे हैं।
प्रदेश में जीआईसी प्रिंसिपल के 945 पद हैं। इसमें से सीधी भर्ती के जरिए 430 पदों को भरने का प्रावधान है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) से इन पदों के लिए भर्ती होती है। समय- समय पर यह भर्ती हुई है। इसलिए इस कटेगरी के 313 पद भरे हैं और 117 पद खाली हैं। दूसरी ओर से जीआईसी के सहायक अध्यापकों और प्रवक्ताओं को पदोन्नति देकर प्रिंसिपल के 515 पदों को भरना था।
पदोन्नति के लिए वरिष्ठता सूची बनी लेकिन वह विवादित हो गई है। इसलिए आठ वर्ष से डीपीसी की प्रक्रिया नहीं हो सकी है। वरिष्ठता सूची के विवाद को अफसरों ने नहीं सुलझाया। इसलिए यह मामला कोर्ट तक पहुंच गया। डीपीसी न होने के कारण पदोन्नति से भरे जाने वाले प्रिंसिपल के पदों में से 437 पद खाली हैं। यह विद्यालय प्रभारी प्रिंसिपल के भरोसे चल रहे हैं। स्थायी प्रिंसिपल न होने से शिक्षण कार्य पर असर पड़ रहा है।
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