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लोकसभा चुनाव के परिणाम तय करेंगे झारखंड विधानसभा का भविष्य
झारखंड की जनता ने लोकसभा चुनाव के परिणाम के साथ यह बता दिया कि उनका राजनीतिक मूड क्या है। अब सवाल है कि क्या लोकसभा चुनाव के परिणाम का असर झारखंड के विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। झारखंड की सभी आरक्षित लोकसभा सीट एनडीए हार चुकी है।
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लोकसभा में झारखंड की जनता ने जिन मुद्दों पर वोट दिया क्या वह विधानसभा में जस के तस रहेंगे। आइए इस रिपोर्ट में इन सारे सवालों के जवाब तलाशते हैं।
लोकसभा के चुनाव परिणाम ने झारखंड में सांसे गिन रही इंडिया गठबंधन में जान फूंक दी है। साल 2019 में लोकसभा की दो सीटों पर सिमट कर रह गई इंडिया गठबंधन (तब की यूपीए) के खाते में अब पांच सीट आई है। इस परिणाम से इंडिया गठबंधन इसलिए भी उत्साहित है क्योंकि सभी रिजर्व सीटें उनके हिस्से आई हैं।
ऐसे में राज्य की राजनीति में लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद से जो परिस्थितियां बन रही हैं, वह झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव की उठता पहला कदम दिख रहा है।
अब विधानसभा चुनाव की तैयारी में राजनीतिक पार्टियां
चुनाव परिणाम के बाद राज्य में इंडिया गठबंधन का उत्साह और एनडीए की चुप्पी विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ता पहला कदम है? इस सवाल के जवाब में विशेषज्ञ कहते हैं ‘हां’ ।
वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र सिंह कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के परिणाम से इंडिया गठबंधन पूरी तरह उत्साहित है। वह इसे भूनाने की पूरी कोशिश भी करेगा। इंडिया गठबंधन अब यह मान कर चल रही है कि लोकसभा चुनाव में जनता ने हमें आशीर्वाद दिया है और वह चाहेगी कि विधानसभा चुनाव में भी उसे आशीर्वाद दे।
वह मानते हैं कि इस परिणाम ने एनडीए गठबंधन को भी बता दिया है कि उन्हें वोट बैंक को मजबूत करने के लिए स्ट्रैटजी बनानी होगी। एनडीए पांच रिजर्व सीट हार गई। ग्रामीण वोटर्स में भी कमी हुई है। ऐसे अब दोनों गठबंधन के लिए विधानसभा चुनाव महत्वपूर्ण हो गया है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि लोकसभा के इस परिणाम ने जहां इंडिया गठबंधन को उत्साहित किया है। वहीं एनडीए गठबंधन को चिंता में डाल दिया है। उनका मानना है कि जहां इंडिया गठबंधन मजबूत हुआ है।
वहीं आगामी विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए को मेहनत करना होगा। वर्तमान परिदृश्य में इंडिया गठबंधन और एनडीए की क्या स्थिति है, इसे नीचे दिए गए ग्राफिक से समझा जा सकता है।
भाजपा की स्ट्रैटजी ही दिलाएगी जीत
राजनीति के वर्तमान स्वरूप को लेकर वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक शास्त्री थोड़ी अलग सोच रखते हैं। वो कहते हैं कि परिणाम तो अब सामने है। अब तो आगामी विधानसभा में स्ट्रैटजी पर सोचना होगा। इसमें संदेह नहीं है कि इंडिया गठबंधन मजबूत हुआ है। भाजपा को अब अच्छी स्ट्रेटजी बनानी होगी, इंडिया गठबंधन के पक्ष में कई अच्छी बात है। इनके पास कल्पना सोरेन जैसा बड़ा चेहरा है। मतदाताओं का साथ है।
जबकि भाजपा की ओर से देखें तो इनके पास कई चैलेंजे हैं। इसे समझने की जरूरत है। पहला, यह कि पार्टी ने जिस उद्देश्य से सीता सोरेन को लाया वह उलट साबित हुआ। दूसरा, खूंटी से अर्जुन मुंडा चुनाव हार गए हैं। अब उनका क्या होगा। क्या वे राज्य की राजनीति में वापस होंगे। बाबूलाल की स्ट्रेटजी भी कुछ खास नहीं की। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सीता, गीता, अर्जुन मुंडा को लेकर पार्टी क्या रणनीति बनाती है।
बागी नहीं बनेंगे मुसीबत, करेंगे वापसी
एक सवाल यह भी आता है कि इस लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की ओर से सीटिंग विधायकों ने बगावत की थी। कहीं ये परेशानी का सबब न बन जाएं। इस विषय को लेकर वरिष्ठ पत्रकारा जितेंद्र सिंह कहते हैं कि यह बड़ी समस्या नहीं है। अगर परिस्थियां यह कहेंगी कि बागियों को लाने से फायदा होगा तो उन्हें वापस लाएंगी। कुछ ऐसी ही बात एक्सपर्ट अभिषेक शास्त्री भी कहते हैं। उनका मानना है कि बागियों की वापसी संभव है।
क्या है राजनीतिक दावे
विधानसभा में जीत के सीट की गिनती ही 29 से शुरू होगी
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं कि सरकार जनता के पक्ष में है या किसी ओर के, इस परिणाम ने एनडीए को इसकी समझ दे दी है, लेकिन बात आगामी विधानसभा चुनाव की करें तो यहां भी जीत की गिनती 29 से शुरू होगी। झारखंड में अनुसूचित जनजाति 28 सीटें आरक्षित हैं। यह इंडिया गठबंधन के खाते में ही जाएगी।
भाजपा बोली: इंडिया गठबंधन सिर्फ पांच जीता है हम 9 सीट जीते हैं
भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रदीप सिन्हा की मानें तो लोकसभा से विधानसभा चुनाव का अलग होता है। विधानसभा के वायदे तो राज्य सरकार ने पूरी की नहीं। अब तो जनता उनसे जवाब मांगेगी ही। वह कहते हैं कि राज्य की 14 में से पांच सीट ही इंडिया ने जीती, बाकि के नौ हमारे हैं।
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