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एमबी अस्पताल में जिला क्षय निवारण केंद्र के डॉक्टर अंशुल मट्ठा और दलाल समीर मट्ठा के 25 हजार की रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने के 15 दिन बाद अब चिकित्सा विभाग ने अपने स्तर पर भी कार्रवाई शुरू की है। विभाग की ओर से गठित चार सदस्यीय टीम ने बुधवार को महारा
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टीम में शामिल अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रागिनी अग्रवाल, सहायक लेखाधिकारी राजकुमार मित्तल, अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी प्रेम पालीवाल व सहायक प्रशासनिक अधिकारी राजेंद्र सोलंकी ने क्लीनिक में ऑडिट रिपोर्ट में फिनायल बिलों के सेटलमेंट से जुड़े आवश्यक दस्तावेज खंगाले।
सुबह 10:30 बजे पहुंची टीम ने करीब 5 घंटे तक फिनायल, मास्क और स्पूटन कप (थूकने के लिए दिए जाने) की खरीदी से जुड़े दस्तावेज जुटाए। इसके अलावा क्लीनिक प्रभारी डॉ. प्रेम निनामा से वित्तीय वर्ष 2020-21 से लेकर 2023-24 के बीच हुई खरीदी के बिल, बाउचर, पिछले चार साल में हुई खरीदी के स्टॉक से जुड़े रजिस्टर की मांग की।
संभवत: बाकी के दस्तावेज टीम को गुरुवार तक उपलब्ध कराए जाएंगे। बता दें कि 22 मई को एसीबी ने जिला क्षय अधिकारी डॉ. अंशुल मट्ठा और दलाल समीर मट्ठा को अस्पताल के लिए क्रय किए गए फिनाइल के बिलों की ऑडिट रिपोर्ट का समायोजन करने की एवज में ही रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था।
दो साल में आने वाले रोगी और उनको दिए गए सामान की जांच
चिकित्सा विभाग की टीम की ओर से मामले में रिपोर्ट बनाकर सीएमएचओ डॉ. शंकरलाल बामनिया को सौंपी जाएगी। टीम इस जांच में लगी हुई है कि हकीकत में क्लीनिक में निक्षय कवच योजना के तहत दो साल में कितने ड्रग रेजिस्टेंस टीबी (एमडीआर) रोगी आए थे। ऐसे मरीजों की सूची जुटाने के साथ टीम ये भी तय करेगी कि हकीकत में ऐसे कितने रोगी हैं, जिन्हें योजना के तहत निशुल्क दवाइयों के साथ 10-10 लीटर फिनाइल, 10-10 मास्क और दो-दो स्पूटन कप दिए गए हैं। बता दें कि पूर्व की गहलोत सरकार के कार्यकाल में जनवरी 2022 में इस योजना की शुरुआत हुई थी। इसके तहत क्लीनिक स्तर पर मरीज हित में फिनायल सहित अन्य सामग्रियों की खरीदी की जा रही थी।
5 टीबी रोगियों ने बोला- न फिनाइल मिला, न ही मास्क दिए
जांच के दौरान टीबी रोगियों से जुड़े नामों की सूची जानने के लिए भास्कर ने भी पड़ताल की। मामले में मिली 120 टीबी रोगियों की सूची में रेंडम 5 मरीजों के मोबाइल नंबर पर बात की गई। कानूनी नियमों के तहत मरीजों के नाम का खुलासा नहीं किया जा सकता, लेकिन वेलागढ़, झाड़ोल, खेरादीवाड़ा, बिछीवाड़ा और भूपालपुरा के मरीजों ने भास्कर को बताया कि क्लीनिक की ओर से नि:शुल्क दवाएं तो दी गईं, लेकिन फिनाइल, कप और मास्क जैसी अन्य चीजें मुहैया नहीं कराई गईं। ये सभी मरीज 7 से 9 माह पुराने हैं।
बता दें कि जनवरी से 5 जून 2021 तक डॉ. पीयूष सोनी के पास क्लीनिक का अस्थायी प्रभार रहा था। 6 जून 2021 से 25 जुलाई 2022 तक डॉ. अंशुल मट्ठा, 26 जुलाई 2022 से 29 सितंबर 2023 तक डॉ. आशुतोष सिंघल और 30 सितंबर 2023 से 22 मई 2024 तक वापस से डॉ. मट्टा के पास क्लीनिक प्रभारी का चार्ज रहा। 22 मई को डॉ. मट्टा के रिश्वत मामले में पकड़े जाने के बाद अभी चार्ज डॉ. प्रेम निनामा के पास है।
जांच पूरी होने के बाद ही दे पाएंगे जानकारी
“सीएमएचओ के निर्देश पर टीबी क्लीनिक में हुई खरीदी को लेकर जांच शुरू की है। अभी दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। स्टाफ से बयान भी लिए गए हैं। जांच पूरी होने के बाद ही रिपोर्ट की जानकारी दे पाएंगे। अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।”
-डॉ. रागिनी अग्रवाल, एसीएमएचओ, चिकित्सा विभाग
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