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लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में खाली हाथ रही कांग्रेस को इस बार राजस्थान ने 11 सीटें देकर सूखा खत्म कर दिया है। इसमें से तीन सीटें कांग्रेस के गठबंधन प्रत्याशियों को मिली हैं।
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इस जीत से कांग्रेस खेमे को उत्साह से भर दिया है। कांग्रेस की इतनी बड़ी जीत का अनुमान न तो बीजेपी ने लगाया था और न ही सर्वे और एग्जिट पोल ने। लेकिन मंगलवार को आए नतीजों ने सबको चौंका दिया।
दैनिक भास्कर ने पूरे चुनाव और परिणाम को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से बातचीत की। आखिर कांग्रेस ने क्या रणनीति अपनाई? पढ़िए ऐसे ही सभी सवालों पर डोटासरा के जवाब…
भास्कर : आपने एक जुमला बोला था कि ‘बीजेपी का मोरिया बुलवा देंगे’, रिजल्ट के बाद फिर कहा कि ‘मोरिया बुलवा दिया’, इसका क्या मतलब है?
डोटासरा : इसका मतलब तो उससे पूछिए, जिसका मोरया बोल गया हो। पूछो कि रात को नींद आ रही है कि नहीं। ये तो देसी फटकारे हैं। देसी फटकारों की चपेट में कोई आ जाता है, तो उसे पता रहता है कि क्या हुआ, क्या नहीं हुआ।
ये तो राजस्थानी को मान्यता देने की नकली बातें करते हैं। लेकिन हमने तो ट्रेंड सेट कर दिया कि खुद की भाषा में बोलो, जिसे लोग पसंद करें। ‘बहुत आच्छो लागे लोगा न…मैं ट्रेंड सेट करयो और इनके मोरया बोल गए।’ (हंसते हुए)
मंगलवार को चुनाव नतीजे पक्ष में आए तो डोटासरा को उनके कार्यकर्ताओं ने मोरिया यानी मोर बोलते हुए का वीडियो मोबाइल में चलाकर दिखाया।
भास्कर : कांग्रेस का दो बार का सूखा समाप्त हुआ, बीजेपी की 25 सीटों की हैट्रिक भी रुक गई, क्या खास रणनीति काम आई?
डोटासरा : हमें आलाकमान ने फ्री हैंड दिया और बहुत सी चीजों को मिलाकर हम चुनाव लड़े। हमने फील्ड में महसूस किया और लोगों ने माना कि सभी अच्छी योजनाएं बंद हो गईं, राज्य की सरकार बदलकर हमने चूक कर दी। पूरी सरकार को ब्यूरोक्रेसी चला रही है।
पार्टी आलाकमान ने सोच समझकर और हमारी राय के बाद उम्मीदवार उतारे। नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक सभी ने मिलकर चुनाव लड़ा। सबसे बड़ा कारण राहुल गांधी की यात्राएं रहीं। राजस्थान का न्याय पत्र भी बड़ा कारण रहा। सोनिया गांधी-प्रियंका गांधी से लेकर सभी पूरा कैंपेन में जुट गए।
भाजपा सरकार ने जब हमारी योजनाएं बंद करनी शुरू कर दीं, तो हम गांवों में निकल गए। वर्कर्स के बीच और जनता से मिलने कोने-कोने तक गए। सभी लोकसभा क्षेत्रों में लोगों के बीच जाकर कांग्रेस सरकार की अच्छी योजनाओं को बंद करने के साथ भाजपा के संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग और अन्याय-अत्याचार सहित विफलताओं को बताया।
सोनिया-राहुल-प्रियंका से लेकर राजस्थान के नेताओं ने अच्छा प्रचार किया। जनता में और कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार किया। नेताओं से लेकर कार्यकर्ता तक एकजुट रहे। इसलिए ये परिणाम आया है।
जयपुर ग्रामीण सीट पर काउंटिंग में विवाद के बाद गोविंद डोटासरा की ‘X’ पर पोस्ट।
भास्कर : कुछ सीटें काफी कम मार्जिन से कांग्रेस ने गंवा दी, जयपुर ग्रामीण सीट पर री काउंटिंग की मांग को लेकर विवाद हुआ, अब क्या सोचा है?
डोटासरा : सही बात है कि हम दो-तीन सीटें और जीत सकते थे। जिसमें जयपुर ग्रामीण, अलवर, बीकानेर, कोटा जैसी सीट शामिल हैं। जयपुर ग्रामीण वाली सीट तो हम जीते हुए ही हैं।
मैं खुद मौके पर गया था, लोगों बहुत गुस्सा था। मैंने खुद प्रशासन से बात की थी। अंदर से खबरें आ रही थीं कि पोस्टल बैलेट में गड़बड़ी की है। बीजेपी का शासन है। अब इन्होंने क्या गड़बड़ी की है, आने वाला समय बताएगा। कानूनी राय लेंगे और उसके बाद कोर्ट में भी जा सकते हैं।
जो पिछले दो चुनावों में तीन-तीन और चार-चार लाख वोट से जीत रहे थे। वे 30-30 हजार के मार्जिन पर आ गए। उन्होंने कैसे चुनाव जीता है, सभी को पता है। सारी स्थितियां सामने हैं, जनता ने आशीर्वाद दिया है।
भास्कर : रिजल्ट से पहले अपने कांग्रेस की 10-12 सीटें आने को लेकर आपका दावा क्या पॉलिटिकल था या कोई केलकुलेशन थी?
डोटासरा : बिलकुल हमने कैलकुलेशन किया था। हमने सभी लोकसभा क्षेत्रों जाकर जनता की नब्ज को टटोला था। हमने जनता से कहा था कि आपने हमारा शासन देखा और अब इनका शासन देख लो कैसा है।
मोदी के वादों को भी याद दिलाया, तो लोगों की समझ में आया कि ये तो ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई से डरा कर राज करना चाहते हैं। धमकाना चाहते हैं।
पीएम की ये भाषा कि मंगलसूत्र तोड़कर ले जाएंगे…टूंटी (नल) खोलकर ले जाएंगे…मकान-भैंस ले जाएंगे…मुसलमानों को सबकुछ दे देंगे। ये भी कहा कि मोदी को कमतर मत आंकना वरना, ये धमकी भरे शब्द मर्यादाहीन बातें देश के प्रधानमंत्री ने कीं। इन सब बातों ने हमें ऊपर उठने में मदद की।
भास्कर : ऐसी भी प्रतिक्रियाएं आईं कि कांग्रेस गठबंधन की सीटें बढ़ने का कारण बीजेपी से नाराजगी ज्यादा होना है?
डोटासरा : इसमें कोई दो राय नहीं हैं। जनता की सरकार के प्रति नाराजगी थी ना। जनता ने इनके कर्मों, गलत नीतियों और झूठे वादों से नाराज थी। प्रधानमंत्री की अमर्यादित भाषा से नाराज थी। मंदिर-मस्जिद करके वोट मांगे उससे नाराज थी।
यहां 25 में से 24 निकम्मे बैठे थे दिल्ली के अंदर, कोई काम नहीं कर पाए, जनता उससे भी नाराज थी। जैसे हनुमान चालीसा पढ़ते हैं, उन्होंने मोदी चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया था बस। सुबह-शाम केवल मोदी-मोदी। इन सब बातों से जनता नाराज थी।
इसके अलावा राज्य सरकार बनने के बाद इन 6 महीनों में हमारे कामों और योजनाओं की इस राज्य सरकार से तुलना हो गई। हमारे कार्यकर्ताओं ने ग्राउंड पर मोर्चा संभाल लिया और इन झूठे लोगों के बारे में बताया।
भास्कर : बीजेपी आरोप लगा रही है कि कांग्रेस ने झूठ फैलाया कि मोदी सरकार संविधान बदल देगी और आरक्षण समाप्त कर देगी?
डोटासरा : क्या झूठ फैलाया। चाहे उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी का या ज्योति मिर्धा का बयान देख लीजिए या किसी और नेता का, वो तो खुद ही ये बातें कह रहे हैं। वो कह रहे हैं कि मोदी 400 पार आएंगे और संविधान को बदल देंगे।
संविधान में दो चीजें प्रमुख हैं…एससी-एसटी, ओबीसी, दलित और कमजोर तबके को आरक्षण देना और दूसरा जो प्रजातंत्र को विश्व में सबसे अधिक मजबूती देता है। यहां निष्पक्ष चुनाव की बात है, ये सभी कुछ खत्म करना चाहते हैं। हमने कहां झूठ फैलाया।
गोविंद डोटासरा ने कहा कि कांग्रेस में कई सीनियर नेताओं ने लोकसभा का चुनाव लड़ा।
भास्कर : कांग्रेस के बड़े नेता टिकट लेने से झिझके, कुछ ने टिकट मिलने के बाद निराशाजनक बयान दिए थे, आपको क्या लगता है मजबूती से लड़ते तो कुछ सीटें बढ़ सकती थी?
डोटासरा : ये तो बिना मतलब की बात फैलाई जा रही है कि चुनाव में कांग्रेस बड़े नेताओं को उतारती और अच्छे से चुनाव लड़ती तो और सीटें आ जातीं। शीशराम ओला के बेटे बृजेंद्र ओला, क्या वो बड़े नेता नहीं है। उदयलाल आंजना, हरीशचंद्र मीणा, मुरारी लाल मीणा, क्या ये सीनियर लीडर नहीं हैं।
हां, एक बात जरूर सही है कि जो एमएलए थे वे चाहते थे कि दूसरे को मौका दिया जाना चाहिए, हमें तो मौका मिल चुका है। ये बात जरूर थी। लेकिन हमने जब फील्ड में लोगों की राय जानी, तो इनकी साख अच्छी पाई। जन भावना देखी कि यदि कांग्रेस इन्हें टिकट देगी, तो ये जीत सकते हैं। एक ललित यादव जरूर रह गए, बाकी सभी एमएलए जीत गए।
भास्कर : पूरे चुनाव में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच दूरियां नजर आईं, पायलट तो वैभव गहलोत के लिए प्रचार करने नहीं पहुंचे और गहलोत ने भी पायलट समर्थकों की सीटों से दूरी बनाए रखी?
डोटासरा : ये कोई मुद्दा ही नहीं है। ये सब मीडिया बनाता है, अपनी चटपटी खबर बनाने के लिए। राहुल-सोनिया जी और खड़गे जी के सामने जब गहलोत-पायलट ने अपनी बातें की थीं, तब ये बातें खत्म हो गई हैं। कोई आपसी टकराव नहीं है, सब मिलकर चुनाव लड़े और सब मिलकर ही चुनाव जीते हैं।
भास्कर : अशोक गहलोत ने कहा कि यदि भाजपा की सीटें कम होती हैं, तो इसमें सीएम भजनलाल की क्या गलती है उन्हें सीएम पद पर बरकरार रहने देना चाहिए?
डोटासरा : गहलोत जी ने किस संदर्भ में क्या कहा है, इसका जवाब तो वो ही दे सकते हैं।
भास्कर : आप बार-बार कहते हैं- पर्ची सरकार…सीएम पर्ची से चलते हैं?
डोटासरा : आप मुझे बताइए क्या जीते हुए एमएलए की राय से या बहुमत से भजनलाल जी मुख्यमंत्री बने थे? दिल्ली से पर्ची आई थी। चुपके-चुपके निकाली और दो बार की मुख्यमंत्री राजे को ये पता नहीं कि मुखिया कौन होगा? कोई शक शुबा नहीं कि ये पर्ची से सीएम बने हैं।
अंतिम फैसला आलाकमान करता है लेकिन चुने हुए जनप्रतिनिधियों से पूछना चाहिए कि आपको क्या पसंद है। ये हर डेमोक्रेटिक पार्टी में होता है। यहां तो दादागिरी से फैसला थोप दिया कि साब पर्ची निकलेगी, जो वसुंधरा राजे निकालेंगी और उसके बाद मुख्यमंत्री तय होगा। मंत्री भी इसी हिसाब से बनाए गए।
ये रोजाना बयान देते हैं कि बड़ी मछली को पकड़ेंगे और जेल में डाल देंगे। कानून अपना काम करता है। अपराधी को लेकर एजेंसियां काम करेंगी। ये रोजाना कहने की बातें होती हैं क्या? राजस्थान में विकास और अच्छी योजनाएं लाने की बजाय ये दूसरे कामों में लग गए कि एसओजी गिरफ्तार कर लेगी, ये कर देंगे…वो कर देंगे। आप कब से मालिक बन गए। बीजेपी नेता ही ED के डायरेक्टर बन गए कि ये जेल में जाएगा और वो बाहर रहेगा।
भास्कर : राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी को भी आप टारगेट करते हैं?
डोटासरा : सीएम और मंत्रियों के फैसले पर्ची से होने के बाद ब्यूरोक्रेसी तो हावी होनी ही थी। हमारी योजनाओं को बंद कर दिया गया। इस सरकार में यां तो दिल्ली की पर्ची से काम हो रहे हैं या ब्यूरोक्रेसी की मर्जी से।
एक मंत्री एक बाबू तक को नहीं लगा सकता। मुख्यमंत्री ये कहें कि सीएस साब ने जो आईएएस-आरएएस की लिस्ट निकाली है, उसमें देखने कि हमने जो सिफारिश की थी, वह लोग लग गए क्या?
ये तो लोकतंत्र का दुर्भाग्य है कि अपने कामों को लेकर या एक बाबू की पोस्टिंग को लेकर मंत्री और एमएलए जाकर सीएस के यहां लाइन लगा रहे हैं। सीएस कहते हैं कि ऊपर से निर्देश हैं कोई नहीं लगेगा।
किरोड़ीलाल ने यह कहा था कि पीएम मोदी ने उन्हें 7 सीटों की जिम्मेदारी दी है, एक भी हारा तो मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा।
भास्कर : किरोड़ीलाल मीणा के लिए आपने कहा कि वह थूक कर नहीं चाटते, इस्तीफा जरूर देंगे। मीणा की शिकायत पर आपके ऊपर ED छापे पड़े? आपके बयान उस दर्द के कारण तो नहीं हैं…
डोटासरा : मेरा क्या दर्द था? उन्होंने जो बोला, मैंने तो वही कहा। मैं तो चाहता था कि किरोड़ीलाल मुख्यमंत्री बनें। उनके जैसा वरिष्ठ और अनुभवी नेता मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनना चाहिए…आप बताओ।
यदि हमारी सत्ता लुटी है, तो हम उसमें किरोड़ीलाल का बहुत बड़ा योगदान कह सकते हैं। उन्होंने ये पर्सेप्शन क्रिएट किया कि ये सब (कांग्रेस) भ्रष्ट हैं, सब बेईमान हैं। सब लुटा दिया…बच्चों का भविष्य बर्बाद कर दिया।
ऐसा कुछ था नहीं, लेकिन पर्सेप्शन खड़ा कर दिया, उन्हें तो इनाम मिलना चाहिए। लेकिन उन्हें क्या दिया…जो विभाग दिए उसके भी टुकड़े-टुकड़े कर दिए। हाथ कहीं-पैर कहीं, पूंछ किधर…नाक किधर। उन्हें कुछ नहीं दिया, तो इस्तीफा तो देने के लिए कहेंगे ही।
मेरा उनसे कोई संवाद नहीं है। मैंने थोड़े ही कहा है उन्हें इस्तीफा देने के लिए, उन्होंने तो खुद कहा है।
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