[ad_1]
ऐप पर पढ़ें
छत्तीसगढ़ की सरगुजा लोकसभा सीट प्रत्याशियों की वजह से नहीं बल्कि क्षेत्र के वजह से चर्चा में रहती है। छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव का यहां के चुनाव में सीधा हस्ताक्षेप रहता है। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सरगुजा लोकसभा से आते हैं। ऐसे में सरगुजा लोकसभा जीत की जिम्मेदारी सीएम के कंधों पर सीधे आ जाती है। सरगुजा लोकसभा सीट की बात करें तो यह इलाका उत्तर प्रदेश और झारखंड की सीमा से सटा हुआ है। इसके साथ ही आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भी माना जाता है। हर बार लोकसभा के चुनाव में साल 1951 और 1957 के दरमियान चुने गए दो-दो सांसदों की चर्चाएं यहां खूब होती रहती हैं।
छत्तीसगढ़ का सरगुजा लोकसभा क्षेत्र खारिज संपदा से भरा हुआ है। सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में हमेशा से ही राजघराने का सीधा हस्तक्षेप रहा है। यही वजह है कि जब भी लोकसभा के चुनाव होते हैं ऐसे में राजघराना चुनाव के दरमियान एक बड़ा रोल अदा करता है। छत्तीसगढ़ की सरगुजा लोकसभा सीट अंतर्गत आठ विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें अंबिकापुर, लुंड्रा, सीतापुर, सामरी, रामानुजगंज, प्रतापपुर, भटगांव एवं प्रेमनगर विधानसभा सीटें प्रमुख हैं।
साल 2019 के लोकसभा के चुनाव की बात करें तो, छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद यहां से सबसे ज्यादा बार भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली है। साल 2019 के लोकसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार रेणुका सिंह यहां से जीत कर सांसद बनी थी। रेणुका सिंह ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार खेल साय सिंह को चुनाव हराकर लोकसभा पहुंची थी। रेणुका सिंह को साल 2019 के लोकसभा के चुनाव में 663711 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार को 505838 वोट मिले थे। साल 2024 के लोकसभा के चुनाव की बात करें तो यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है। कांग्रेस पार्टी ने सरगुजा लोकसभा सीट से युवा नेत्री शशि सिंह को चुनाव के मैदान में उतारा है। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व में कांग्रेस पार्टी छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए चिंतामणि महाराज को प्रत्याशी बनाया है। सरगुजा लोकसभा सीट में जल, जंगल, जमीन की लड़ाई चुनाव का एक बड़ा मुद्दा रही है।
[ad_2]
Source link