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भ्रष्टाचार रोकने के लिए पुलिस प्रदेश में जहां एक तरफ संदेश दे रही है, दूसरी तरफ इसके ही कुछ कारिंदे विभाग की छवि को खराब कर रहे हैं। साल 2023 से लेकर अब तक शहर में यह छठा केस केस सामने आया है। इन मामलों में कांस्टेबल से लेकर एएसपी तक 7 पुलिसकर्मी नाम
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केस-1 : तस्करों से कर ली सांठगांठ, शिकायत करने वाले को ही फंसा दिया
डबोक थाने के हैड कांस्टेबल महावीर प्रसाद को परिवादी ने पिछले साल 14 अगस्त को अफीम तस्करी की शिकायत दी। जांच फतहनगर इंचार्ज एसआई सुरेश मीणा कर रहे थे। दोनों ने मिलकर अफीम तस्कर से सांठगांठ की और शिकायतकर्ता दादर-नागर हवेली निवासी सुनील पाटिल को ही केस में फंसाने की धमकी दी और केस से निकालने के एवज में 8 लाख मांगे।
थानेदार ने 24 नवंबर 2023 को अपने बेटे सौरभ को घूस लेने भेजा, जिसे एसीबी ने 4.95 लाख रु. लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। एसआई 4 महीने और हैड कांस्टेबल 3 माह फरार रहे। फिर एसीबी ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
अभी क्या स्थिति – थानेदार सुरेशचंद मीणा, उनका बेटा सौरभ और हेड कांस्टेबल महावीर के खिलाफ 3 मई को कोर्ट में चालान पेश। फिलहाल सभी जमानत पर रिहा हैं। अब कोर्ट का सजा को लेकर फैसला आना बाकी है।
केस-2 : केस में एफआर के बदले लिए 35 हजार
पिछले साल 11 मई को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने गोवर्धन विलास थाने के पुलिस सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) मनोहर लाल मीणा और दलाल शिवलाल को 35 हजार की घूस लेते गिरफ्तार किया था। एएसआई ने यह राशि परिवादी के भाई और पिता पर लगे छेड़छाड़ के केस में एफआर लगाने के एवज में मांगी थी। एएसआई ने 1 लाख रु. मांगे, 50 हजार पर सहमति बनी थी।
अभी क्या स्थिति – एएसआई मनोहर और दलाल शिवलाल को जमानत मिल गई। एसीबी जांच कर रही है। इसके बाद चालान पेश किया जाएगा।
केस-3 : हेड कांस्टेबल ने चार हजार रुपए वसूले
पिछले साल 12 सितंबर को एसीबी ने सुखेर थाने के हेड कांस्टेबल देव किशन शर्मा को 4 हजार रुपए की घूस लेते गिरफ्तार किया था। पत्नी से विवाद के बाद सुखेर थाने में परिवादी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। बाद में पति-पत्नी के बीच समझौता हो गया। जांच कर रहे हेड कांस्टेबल ने मामले को बंद करने के लिए 20 हजार रुपए की रिश्वत मांगी। बाद में 5 हजार रुपए देना तय हुआ। परिवादी सुखेर चौराहे पर हेडकांस्टेबल को घूस दे रहा था, तभी एसीबी ने उसे पकड़ा था।
अभी क्या स्थिति – हेड कांस्टेबल देव किशन शर्मा को जमानत मिल गई है। मामले की जांच जारी है। ऐसे में चालान पेश नहीं हुआ है।
केस-4 : वारंट तामील नहीं करने के लिए मांगे 4 हजार
पिछले साल 29 जून को मावली थाने के कांस्टेबल राकेश गुर्जर ने परिवादी से एनआई एक्ट के दो मामलों में वारंट तामील नहीं करने के एवज में 4 हजार रुपए की घूस मांगी थी। बाद में एक हजार रुपए ले भी लिए थे। परिवादी के मोबाइल में दोनों के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग थी। कार्रवाई की भनक लगने पर राकेश ने साथी कांस्टेबल हरिओम मीणा के साथ मिलकर परिवादी के मोबाइल से रिकॉर्डिंग डिलीट कर दी। हालांकि इससे पहले ही परिवादी ने रिकॉर्डिंग एसीबी में दे दी थी। इसी आधार पर एसीबी ने मामला दर्ज किया है।
अभी क्या स्थिति – दोनों कांस्टेबल लाइन हाजिर हैं। इनके खिलाफ एसीबी जांच कर रही है और इनकी गिरफ्तारी भी नहीं हुई है।
केस-5 : एएसपी दिव्या ने ड्रग तस्करी के केस से बचाने को 1 करोड़ रु. लिए
अजमेर एसओजी की निलंबित एएसपी दिव्या मित्तल ने देहरादून की दवा कंपनी के निदेशक को गिरफ्तार नहीं करने के बदले में उसके भाई से 1 करोड़ रुपए लिए। इससे पहले कंपनी निदेशक को गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया। अन्य दो तस्करी के मामलों में गिरफ्तारी के लिए एसओजी मुख्यालय जयपुर से मंजूरी ली, लेकिन गिरफ्तारी नहीं की। बदले में 2 करोड़ मांगे, 1 करोड़ ले लिए। 16 जनवरी 2023 को एसीबी ने दिव्या को गिरफ्तार किया। उनका उदयपुर के चिकलवास में रिसोर्ट यूआईटी ने 2 मार्च को ढहाया।
अभी क्या स्थिति – एसीबी ने निलंबित एएसपी दिव्या मित्तल के खिलाफ पिछले साल 17 मार्च को कोर्ट में चालान पेश कर दिया था। इसके बाद दिव्या को 31 मार्च को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी।
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