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UP Lok Sabha Election 2024
– फोटो : अमर उजाला
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लोकसभा चुनाव का शनिवार को अंतिम चरण पूरा होने के साथ ही सबकी नजरें चार जून को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं। नतीजों से निकलने वाले संदेश बहुत कुछ तय करेंगे। चुनाव लड़ रहे केंद्र व राज्य सरकार के मंत्रियों का कद तो तय होगा ही, मंत्री बनने का सपना देख रहे कई विधायकों की जमीन पर पकड़ भी सामने आएगी।
पार्टी ने चुनाव के मौके पर बड़ी संख्या में दूसरे दलों के नेताओं को लाकर, पद व प्रतिष्ठा देकर जिन समीकरणों का ताना-बाना बुना, उस सबका कितना असर हुआ, इसका भी पता चलेगा।
ढाई महीने लंबे चुनाव अभियान के दौरान प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं के कई महत्वपूर्ण फीडबैक सामने आए।
पहला, कई मंत्रियों व सांसदों की छवि जनता के बीच ठीक नहीं थी। पीएम मोदी के नाम पर लगातार दो चुनाव जीतने के बावजूद वे जनता से कटे रहे। जनता के बीच उनकी छवि भी बेहतर नहीं रही। संपत्ति बढ़ाने, परिवार व अपने लोगों को प्रधान से प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य से अध्यक्ष या विधायक तक पहुंचाकर ठेकेदारी के लाभ तक वे सीमित रहे।
फीडबैक के अनुसार ऐसे करीब 10 और सांसदों के टिकट कटने चाहिए थे। इनमें दो मंत्री भी थे। पर, पार्टी ने जनभावना की अपेक्षा टिकट कटने पर इनकी नाराजगी से होने वाले नुकसान को ज्यादा महत्व देते हुए फिर से मौका दे दिया। ऐसी कई सीटों पर कार्यकर्ता सुस्त पड़े रहे जिससे लड़ाई कठिन हुई।
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