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जिले के सरकारी विद्यालयों में जनजातीय भाषा की पढ़ाई के लिए शिक्षकों की बहाली होगी। ये शिक्षक घंटी आधारित पढ़ाई कराएंगे। प्रशिक्षित (प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित बीएड) को प्रत्येक घंटी के लिए 200 रुपए की दर से जबकि अप्रशिक्षित प्रेरक शिक्षक को प्रति घंटी 120 रुपए की दर से भुगतान की जाएगी। शिक्षक एक दिन में अधिकतम तीन क्लास लेंगे। जनजातीय शिक्षकों को संबंधित स्कूल की एसएलसी (विद्यालय प्रबंध समिति) द्वारा इस संबंध में प्राप्त फंड से भुगतान किया जाएगा। प्रत्येक माह अधिकतम 25 दिनों तक पढ़ा सकेंगे। शिक्षकों की नियुक्ति मैरिट के आधार पर होगी। नियुक्ति प्रखंड स्तर से लेकर जिला स्तरीय समिति करेगी। जिलास्तरीय समिति में अध्यक्ष उपायुक्त, सदस्य उप विकास आयुक्त, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला शिक्षा अधीक्षक, जिला कल्याण पदाधिकारी, उपायुक्त द्वारा नामित जनजातीय सदस्य भाषा, क्षेत्रीय भाषा के पदाधिकारी व कर्मचारी होंगे। अभी सरकारी विद्यालयों में जनजातीय भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विद्यार्थियों का सर्वे चल रहा है। इसके लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया गया है।
जनजातीय भाषा के लिए शिक्षकों की नियुक्ति बच्चों की संख्या के आधार पर होगी। जिस विद्यालय में 10 बच्चे संबंधित भाषा के रहेंगे, वहां उस भाषा के शिक्षक की नियुक्ति की जाएगी। अगर एक विद्यालय में दो अलग-अलग जनजातीय या क्षेत्रीय भाषा के बच्चों की संख्या 10-10 से अधिक है, तो वहां दोनों भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति होगी। इसके लिए पूरे राज्य में विद्यालयों में इन भाषाओं के छात्रों का सर्वे कराया जा रहा है। शिक्षकों की नियुक्ति संताली, हो, कुड़ुख, खड़िया, मुंडारी, माल्तो, बिहोरी, भूमिज, असुर, बांग्ला, उड़िया, पंचपरगनिया, खोरठा, कुरमाली व नागपुरी भाषा के लिए होगी।
झारखंड सरकार का कहना है कि बच्चों को उनकी मातृभाषा के माध्यम से पढ़ाया जाता है, तो इसका सीधा असर उनकी उपस्थिति में देखने को मिलेगी। राज्य में कक्षा 1 से कक्षा 2 के बीच ड्रॉपआउट रेट 13.75% है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि मातृभाषा में पढ़ाने से बच्चे सहजता से विद्यालयी परिवेश से जुड़ेंगे और उनका ठहराव विद्यालयों में लंबी अवधि के लिए होगा। जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई की प्रक्रिया का असर विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा पर भी होगा। न्यू एजुकेशन पॉलिसी में भी बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा उनकी मातृभाषा में देने का निर्देश है। एक साल के लिए मैरिट के आधार पर होगी नियुक्ति जनजातीय भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति एक शैक्षणिक वर्ष के लिए मान्य होगी। इसके बाद शिक्षकों का कार्य संतोषप्रद पाया जाता है तथा सरकार से इस योजना का विस्तार करने का निर्णय लिया जाता है, तो अगले साल के लिए इनकी सेवा बढ़ाने पर विचार किया जाएगा। शिक्षकों का चयन मेधा सूची के आधार पर होगा। इसमें 100 अंकों पर मैरिट बनेगी। इसमें मैट्रिक के लिए 20, इंटर के लिए 30, जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के लिए 10, स्नातक के लिए 20, स्नातकोत्तर के लिए 10 और प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण, बीएड के लिए 10 अंक निर्धारित किए गए हैं। इसके आधार पर अधिकतम प्राप्तांक वाले आवेदकों का चयन किया जाएगा। चयनित शिक्षकों की संपुष्टि डीसी स्तरीय समिति करेगी।
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