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ओले-बारिश और आंधी। मध्यप्रदेश में मई के महीने की शुरुआत कुछ इसी तरह के मौसम से हुई, लेकिन जब सूरज के तेवर तीखे हुए तो सारे रिकॉर्ड भी टूट गए। निवाड़ी का पृथ्वीपुर इतना तपा कि प्रदेश के इतिहास में दर्ज हो गया। 40 साल में पहली बार पृथ्वीपुर में टेम्प्रे
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मई के महीने में भीषण गर्मी पड़ने का ट्रेंड है। अबकी बार भी ऐसा ही हुआ, लेकिन शुरुआती 15 दिन में भी प्रदेश के आधे हिस्से में बारिश, आंधी के साथ ओले भी गिरे। 18 मई से टेम्प्रेचर बढ़ने लगा। नौतपा में टेम्प्रेचर ने टॉर्चर करना शुरू कर दिया। शुरुआती 5 दिन में तो प्रदेश जमकर तपा। दैनिक भास्कर ने मई में गर्मी का ऑडिट किया। वहीं, जाना कि जून कैसा रहेगा?
मई में मध्यप्रदेश जमकर तपा है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, जबलपुर के साथ निवाड़ी का पृथ्वीपुर, दतिया, रीवा, भिंड, राजगढ़, नौगांव, खजुराहो, सीधी आदि शहर भी तापमान बढ़ गया। पृथ्वीपुर में तो पारा रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
मई में ऐसे बदला मौसम
- पहला सप्ताह : मई के पहले ही दिन प्रदेश खूब तपा। खरगोन में सबसे ज्यादा तापमान 42.4 डिग्री रहा। खंडवा में भी पारा 42.1 डिग्री दर्ज किया गया। ग्वालियर-चंबल के साथ मालवा-निमाड़ में भी पारा 42 डिग्री के पार रहा। सप्ताह के आखिरी दिन तो मौसम के दो रंग देखने को मिले। दमोह में तापमान 45 डिग्री के करीब रहा, जबकि नौगांव, गुना, खंडवा, टीकमगढ़ और शिवपुरी में 43 डिग्री के पार रहा।
- दूसरा सप्ताह : दूसरे सप्ताह में हीट वेव के बीच प्रदेश के कई जिलों में बारिश का दौर भी चला। 13 मई को लोकसभा चुनाव की वोटिंग के दौरान ही आंधी-बारिश भी हुई। इंदौर, रतलाम, धार, झाबुआ, शाजापुर, छिंदवाड़ा समेत कई जिलों में पानी गिरा।
- तीसरा सप्ताह : तीसरे सप्ताह में गर्मी के तेवर तीखे रहे। पृथ्वीपुर निवाड़ी में टेम्प्रेचर 45.9 डिग्री रहा। नौगांव (छतरपुर), रतलाम और दतिया भी खूब तपे।
- चौथा सप्ताह : 25 मई से नौतपा की शुरुआत हो गई। 26 और 27 मई को इतनी गर्मी पड़ी कि कई रिकॉर्ड टूट गए। पृथ्वीपुर में प्रदेश के इतिहास में दूसरा सबसे ज्यादा तापमान रहा। दतिया, रीवा, खजुराहो, सीधी में पारा 48 डिग्री के पार रहा। यहां गर्मी का ओवर ऑल रिकॉर्ड बन गया। 31 मई तक गर्मी का असर देखने को मिला। भोपाल में 26 मई को पारा रिकॉर्ड 45.4 डिग्री तक पहुंच गया था। ग्वालियर में भी तापमान 47 डिग्री के करीब पहुंच चुका है।
क्यों इतनी गर्मी पड़ी?
इस बारे में IMD, भोपाल के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. वेदप्रकाश सिंह ने बताया कि ट्रफ लाइन, साइक्लोनिक सर्कुलेशन और वेस्टर्न डिस्टरबेंस का असर कम होने से गर्मी का असर बढ़ गया। इसके बाद शुष्क वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव हो गया। इसके बाद पाकिस्तान, राजस्थान होते हुए गर्म हवाएं प्रदेश में आने लगी। इससे टेम्प्रेचर बढ़ गया और तेज गर्मी पड़ी।
अब जानिए… जून में कैसा रहता है मौसम
पिछले 10 साल के आंकड़ों पर नजर डाले तो मानसून के एंटर होने से पहले प्रदेश में तेज गर्मी का असर रहता है। सबसे ज्यादा ग्वालियर-चंबल गर्म रहता है, जबकि भोपाल, इंदौर और उज्जैन संभाग भी जमकर तपते हैं। जून के आखिरी दिनों में ही टेम्प्रेचर से थोड़ी राहत मिलने लगती है। हालांकि, जून में रात का टेम्प्रेचर 8 से 10 डिग्री तक लुढ़क जाता है। अबकी बार भी ऐसा ही मौसम रहने का अनुमान है।
भोपाल में भी तीखी धूप रही है। इससे पारा 45 डिग्री के पार पहुंच गया।
प्रदेश में 15 से 20 जून तक मानसून की एंट्री
मौसम विभाग के मुताबिक- इस बार प्रदेश में मानसून 15 से 20 जून तक एंटर हो सकता है। केरल में मानसून समय से एक दिन पहले ही आ गया है। 31 मई तक अन्य प्रदेशों में भी मानसून एंटर हो गया। सबसे पहले प्रदेश के इंदौर-जबलपुर संभाग के दक्षिणी हिस्से में मानसून आएगा। 20 जून तक भोपाल में मानसून आ सकता है।
अब जानिए, 10 साल में कैसा रहा मौसम…
भोपाल में 15 जून तक तेज गर्मी
- राजधानी में जून महीने में तेज गर्मी और बारिश दोनों का ही ट्रेंड है। पिछले 10 साल में 15 जून से पहले तेज गर्मी का असर रहा। 3 साल तो टेम्प्रेचर 45 डिग्री के पार पहुंच गया। वहीं, रात का टेम्प्रेचर 17.4 डिग्री तक आ गया। साल 2020 में सबसे ज्यादा 16 इंच बारिश हुई थी। पिछले साल भी साढ़े 5 इंच से ज्यादा पानी गिरा था।
इंदौर में पिछले साल हुई थी 4 इंच बारिश
- जून में इंदौर में दिन के टेम्प्रेचर में खासी गिरावट होती है। पिछले 4 साल यानी- 2020, 2021, 2022 और 2023 में जून में कम गर्मी पड़ी। पारा 39.6 से 41.1 डिग्री के बीच रहा है। इस महीने कोटे की 20 प्रतिशत तक बारिश हो जाती है। पिछले साल 4 इंच से ज्यादा पानी गिरा था।
ग्वालियर में 47 डिग्री पार हो चुका टेम्प्रेचर
- ग्वालियर में मई के बाद जून भी तेज गर्मी रहती है। 10 साल के आंकड़ों की बात करें तो साल 2019 में अधिकतम तापमान 47.8 डिग्री तक पहुंच चुका है। अमूमन तापमान 45 से 46 डिग्री ही रहता है। अबकी बार भी मानसून आने तक गर्मी पड़ेगी। पिछले साल 6 इंच से ज्यादा पानी गिरा था।
जबलपुर में 10 साल अच्छी बारिश
- मानसून की एंट्री के साथ ही जबलपुर में अच्छी बारिश होती है। यही से मानसून की एंट्री होती है, इसलिए अन्य जिलों की तुलना में जबलपुर में अच्छा पानी गिरता है। साल 2014 से 2023 तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो कोटे की 30% तक बारिश हो चुकी है। पिछले साल 10 इंच से ज्यादा पानी गिरा था। इस बार भी जबलपुर के दक्षिण हिस्से से ही मानसून एंटर हो सकता है।
उज्जैन में भी अच्छी बारिश का ट्रेंड
- जून महीने में उज्जैन में भी अच्छी बारिश होने का ट्रेंड है। 2015 से 2023 के बीच उज्जैन में 2.5 से 8 इंच तक बारिश हो चुकी है। इस बार भी ऐसा ही मौसम रहने का अनुमान है। 20 जून तक यहां मानसून एंटर हो सकता है।
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