[ad_1]
यह चौका देने वाली तस्वीर पोटका विधानसभा अंतर्गत कीताकोचा की है जो पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड अंतर्गत केंदुआ पंचायत का है। एक ओर जहां झारखंड सरकार आदिवासियों के उत्थान को लेकर कई बड़े-बड़े दावे करती है जबकि स्थिति इसके विपरित है।
.
यहां सरकार की ओर गांव में बिजली के पोल तक नही गाड़े गए। जबकि प्रधानमंत्री विद्युतीकरण योजना के तहत यहां से सात किलो मीटर स्थित सहारजुड़ी बिजली आपूर्ति की जाती है। बिजली के अभाव में कीता कोचा उत्क्रमित मध्य विद्यालय के 25 बच्चे भीषण गर्मी में भी स्कूल आने को भी विवश है व बिना पंखा के ही यहां के बच्चे पढ़ाई करते है व संध्या होते ही पूरा गांव अंधेरे में छा जाता है।
गांव में न तो चापाकल है व न ही कुआ। ऐसे में 30 आदिवासी परिवार गांव के बगल से बहती सूखे झरने के नीचे बास का पट्टी लगाकर पानी भरते है अन्य लोग उसी जगह गड्ढा खोदकर जमे पानी से नहाने से लेकर अन्य दिनचर्या कार्य करते है। यहां जानवर व आदमी दोनो इसी घाट से पानी लेते है।
जिसकी सुधि लेने वाला कोई नही है। जिसकी लेकर आज ग्रामीणों का सब्र का बांध टूट गया व ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर विरोध जताया।यह हालत इसी एक गांव की नही है। बल्कि इसी तरह के हालात से चमडूगोड़ा, झरोदा, पांडू कोचा के ग्रामीण भी जूझ रहे है।
[ad_2]
Source link