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China Expose : चीन का अड़ियल रवैया तो सब जानते हैं, लेकिन इसकी जासूसी भी किसी से छिपी नहीं, इसलिए कई बार भारत भी डाटा लीक के मामले में चीनी कंपनियों पर कार्रवाई कर चुका है. अब ब्रिटेन ने इसको लेकर चिंता जताई है. ब्रिटेन की जीसीएचक्यू खुफिया एजेंसी के चीफ ने इसे एक गंभीर चुनौती माना है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और पश्चिम के देश बीजिंग की जासूसी के प्रति अब संवेदनशील हुए हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि चीन पश्चिम से अलग ढंग से जासूसी करता है. इससे इसकी गतिविधि को पहचानना और सामना करना मुश्किल है. चीनी जासूसों की प्राथमिकताएं अलग हैं.
चीन का सबसे बड़ा खुफिया नेटवर्क
एक खुफिया अधिकारी का अनुमान है कि चीन में करीब 6 लाख लोग जासूसी और सुरक्षा पर काम करते हैं, जो दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक है. ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई 5 केन मैक्कलम का कहना है कि अकेले ब्रिटेन में 20,000 से अधिक लोगों से चीनी जासूसों ने लिंक्डइन जैसी नेटवर्किंग साइटों पर संपर्क किया है. केन का कहना है कि इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं. हाल ही में ब्रिटेन, बेल्जियम और जर्मनी में गिरफ्तारियों और कनाडा में चल रही जांच के साथ चीनी जासूसों की वजह से पश्चिमी राजनीति को निशाना बनाने की खबरें आई हैं. यूरोप और अमेरिका में चीनी विदेशी पुलिस स्टेशनों की रिपोर्टें आई हैं. रिपोर्ट में सुरक्षा अधिकारियों के हवाले से दावा किया गया है कि चीन के खुफिया अधिकारी जमीन पर जासूसों का शारीरिक रूप से उपयोग करने के बजाय दूर से काम करते हैं.
हमेशा चिंता करने की जरूरत
अधिकारियों का कहना है कि पश्चिम भी चीन की जासूसी कर रहा है, लेकिन चीन पर खुफिया जानकारी इकट्ठा करना एमआई6 और सीआईए जैसी पश्चिमी खुफिया सेवाओं के लिए चुनौती है. इसकी वजह है कि चीन पश्चिमी तकनीक के बजाय खुद की तकनीक का उपयोग करता है. एमआई6 के प्रमुख सर रिचर्ड मूर कहते हैं कि हम जिस प्रतिस्पर्धा भरी दुनिया में रह रहे हैं, उसमें हमेशा संघर्ष के बारे में चिंता करनी चाहिए और हमें इससे बचने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए. तकनीक के दौर में जासूसी करना आम बात हो गई है, यह एक काफी चिंताजनक है.
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