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झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग में हुए घोटाले मामले में आईएएस मनीष रंजन से प्रवर्तन निदेशालय (ED) एक बार फिर पूछताछ करेगी। इससे पहले मंगलवार को ED ने मनीष से 9 घंटे पूछताछ की थी। यह पूछताछ पहले अकेले में की गई फिर आलमगीर आलम के सामने बैठा कर पूछताछ की
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ED के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मनीष ने खुद को ईमानदार व्यक्ति बताया। ये भी कहा कि वे विभाग के किसी भी आरोपी अधिकारियों को नहीं छोड़ते हैं, लेकिन जब आलमगीर आलम के साथ उनके संबंध को लेकर सवाल किया गया तो वे उलझ गए।
इतना ही नहीं गिरफ्तार चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम से मिली सूचना के आधार पर जब सवाल किए गए तब भी उन्होंने चुप्पी साध ली।
सोमवार तक मांगा लिखित जानकारी
पूछताछ के क्रम में ED ने उनसे उनके पारिवारिक सदस्यों की संपत्ति, सदस्यों का ब्योरा, उनकी आय आदि से संबंधित सवाल पूछे। साथ ही इसकी डिटेल जानकारी मांगी है। ED ने मनीष रंजन को एक फॉर्म भी दिया है, जिसे सोमवार तक भरकर लाने को कहा है। ED ने जो जानकारी मांगी है, उसे लिखित रूप में जवाब देने को कहा है।
इधर, पूछताछ के दौरान उन्होंने यह बताया कि उनके विभाग में सचिव रहते कमीशनखोरी की आंशिक जानकारी उन्हें थी। उन्होंने बताया कि उस दौरान उन्होंने कार्रवाई भी की थी। साथ ही बताया कि विभाग के मंत्री के साथ उनके संबंध केवल कामकाज तक ही था।
ED का दावा- मंत्री का पीएस बता चुका है कहां-कहां जाता था कमीशन
ED ने टेंडर कमीशन घोटाला मामले में छापेमारी के बाद मंत्री आलमगीर के पीएस रहे संजीव लाल और उसके नौकर जहांगीर आलम को गिरफ्तार किया था। बकौल जांच एजेंसी संजीव लाल ने ही पूछताछ में बताया है कि किन-किन लोगों के बीच कमीशन की राशि बांटी जाती थी।
उसने यह भी बताया कि मंत्री आलमगीर आलम सहित पूर्व सचिव मनीष रंजन को भी कमीशन की राशि जाती थी। इसके बाद ईडी को इससे संबंधित कई दस्तावेज भी हाथ लगे थे। जिसे दिखाकर ED ने मंत्री आलमगीर आलम से भी कई सवाल किए, लेकिन आलमगीर ने उन दस्तावेजों से या तो अनभिज्ञता जताई या चुप्पी साध ली थी।
ED ने कोर्ट में भी लिखित में जानकारी दी है कि टेंडर कमीशन का बहुत बड़ा नेक्सस चलता है। यह घोटाला 3 हजार करोड़ तक का हो सकता है। जांच एजेंसी ने कोर्ट में यह भी दावा किया है कि इसमें कई प्रभावशाली लोगों के नाम भी सामने आए हैं जिनसे पूछताछ जरूरी है।
जानकारी छुपा रहे हैं आलमगीर
पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से जो जानकारियां दी गई हैं उसमें जांच एजेंसी ने साफ कहा है कि आलमगीर आलम मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं लेकिन वह किसी भी तरह की जानकारियां देने से बच रहे हैं। वह महत्वपूर्ण जानकारी छिपा रहे हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने यह भी बताया कि आलमगीर आलम के पीए संजीव लाल और उसके निजी सहयोगी जहांगीर आलम से हुई पूछताछ और विभिन्न ठिकाने पर छापेमारी के दौरान मिले दस्तावेज से इस बात की जानकारी मिलती है कि आलमगीर आलम गलत तरीके से कमाए रुपयों को अपने करीबी लोगों के यहां ही रखते थे।
अब तक की जानकारी में पाया गया कि आलमगीर के करीब ही कुछ वरीय अधिकारी और प्रभावशाली लोग महत्वपूर्ण फैसला लेने और लाभान्वित होने वालों में हैं। ऐसे लोगों के पास गुप्त और महत्वपूर्ण सूचनाएं हैं। इन्हें भी जल्द ही समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।
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