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नई दिल्ली7 मिनट पहले
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दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार 29 मई को स्टूडेंट एक्टिविस्ट शरजील इमाम को 2020 के सांप्रदायिक दंगों से जुड़े राजद्रोह मामले में जमानत दे दी। शरजील को जनवरी 2020 में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वो तब से जेल में बंद हैं।
ट्रायल कोर्ट ने 17 फरवरी को शरजील को वैधानिक जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसके खिलाफ वह हाई कोर्ट पहुंचे थे। शरजील ने अपनी याचिका में कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13 के तहत दोषी पाए जाने पर अधिकतम सजा 7 साल है।
शरजील ने कहा कि वह पिछले चार साल से हिरासत में है और सात साल की सजा में से आधी सजा काट चुके हैं। इसलिए उसे वैधानिक जमानत मिलनी चाहिए। इसके बाद हाई कोर्ट के जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की बेंच ने उसे जमानत दे दी।
हालांकि, शरजील जमानत मिलने के बावजूद यूएपीए आरोपों से जुड़े मामले में जेल में ही रहेंगे। शरजील दिल्ली दंगों से जुड़े कई मामलों में आरोपी है, जिसमें हिंसा के पीछे बड़ी साजिश रचने का मामला भी शामिल है। इस मामले में भी वह न्यायिक हिरासत में हैं।
दिसंबर 2019 में भड़काऊ भाषण दिए, दिल्ली हिंसा भड़काने का भी आरोप
दरअसल, शरजील ने 13 दिसंबर 2019 को दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया और 16 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण दिया था। इस पर उसके खिलाफ देशद्रोह और दूसरी धाराओं में FIR दर्ज की गई थी।
अपने भाषण में उसने कहा था कि भारत से असम को अलग कर दिया जाना चाहिए। अगर हम असम की मदद करना चाहते हैं, तो हमें भारतीय सेना और सप्लाई के लिए असम का रास्ता रोकना होगा। ‘चिकन नेक’ मुसलमानों का है। चिकन नेक 22 किमी का हाईवे है, जो पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।
बयान का वीडियो सामने आने के बाद शरजील इमाम चर्चा में आ गया था। इसके बाद उसे नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन से जुड़े कई मामलों में आरोपी बनाया गया। शरजील को जनवरी 2020 में भड़काऊ भाषण और देशद्रोह से जुड़े एक और मामले में बिहार से गिरफ्तार किया गया था।
जामिया मिलिया मामले में फरवरी 2023 में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने शरजील इमाम को आरोप मुक्त किया था। शरजील पर IPC 143,147,148, 186, 353, 332, 333, 308, 427, 435, 323, 341, 120B और 34 की धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिसमें उसे आरोप मुक्त किया गया था।
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