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Xi Jinping Meeting: अमेरिका और ताइवान के साथ चल रहे तनाव के बीच चीन इस समय दुनियाभर के मुस्लिम देशों को साधने में जुटा है. चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और ट्यूनीशिया के नेता इस सप्ताह चीन के दौरे पर रहेंगे. इस दौरान मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी, ट्यूनीशियाई राष्ट्रपति कैस सैयद, बहरीन के राजा हमद और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान चीन की यात्रा करेंगे. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बताया कि ये सभी नेता 28 मई से 1 जून के बीच चीन का राजकीय दौरा करेंगे. इस दौरान ये लीडर्स चीन-अरब राज्य सहयोग मंच के 10वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में भाग लेंगे.
साल 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति हू जिंताओ की काहिरा यात्रा के दौरान चीन-अरब राज्य सहयोग मंच की स्थापनी की गई थी. यह मंच चीन को अरब राज्य लीग के 22 सदस्यों से जोड़ता है. इनमें सऊदी अरब, इराक, फिलिस्तीन, कुवैत और कतर जैसे देश शामिल हैं. इस मंच की नीतियों के तहत कुल 23 देशों के विदेश मंत्री हर दो साल पर राजनीति, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा में सहयोग पर चर्चा करने के लिए बैठक करते हैं. बीते वर्षों में इन देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और सार्वजनिक स्वास्थ्य में गहन सहयोग के लिए मुलाकात की है.
चीन के विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
गुरुवार को होने वाली आगामी बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भाग लेंगे. यह बैठक बीजिंग में आयोजित हो रही है. सोमवार सुबह एक ब्रीफिंग के दौरान चीन के विदेश उप मंत्री डेंग ली ने बताया कि शी जिनपिंग जार देशों के नेताओं के साथ व्यक्तिगत बैठक करेंगे. यह बैठकें इसलिए हो रही हैं, क्योंकि चीन इजारायल-हमास युद्ध में मध्यस्थता करना चाह रहा है. चीन पहले ही द्विराष्ट्र पॉलिसी को दोहरा चुका है. चीन ने इस हिंसा को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन का भी आह्लान किया है. डेंग ने बताया कि दो राज्य समाधान दोनों देशों में शांति के लिए दीर्घकालिक समाधान है. चीन का लक्ष्य इजरायल-हमास संघर्ष को जल्द से जल्द समाप्त करना है.
मुस्लिम देशों में अमेरिका से अधिक व्यापार कर रहा चीन
चीन बीते कुछ वर्षों में पश्चिमी एशिया में प्रभावशाली ताकत के रूप में उभरा है, क्योंकि अमेरिका का ध्यान इंडो-पैसफिक पर टिक गया है. इन्हीं देशों से चीन भारी मात्रा में तेल का आयात करता है. अमेरिका भले ही प्रमुख सैन्य और राजनयिक शक्ति बना है, लेकिन चीन इन देशों में प्रमुख व्यापारिक भागीदार के रूप में काम करता है. चीन सभी प्रमुख मुस्लिम देशों के साथ व्यापारिक संबंध मजबूत बनाकर रखा है. चीन इस क्षेत्र को महत्वपूर्ण व्यापारिक और भू-राजनीतिक उद्देश्य के रूप में देखता है. इन देशों में पिछले साल बीजिंग का प्रभाव तब देखने को मिला जब चीन ने ईरान और सऊदी अरब के बीच समझौता कराया.
शांतिदूत बनना चाहता है चीन
दुनिया के राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि चीन बेल्ट एंड रोड परियोजना को अब खाड़ी देशों की तरफ ले जाना चाहता है, जिसकी वजह से मुस्लिम देशों में चीन अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है. वैसे भी इन देशों में चीन का व्यापार मजबूती के साथ पहुंच चुका है. अब इजरायल और फिलिस्तीन के बीच समझौता कराकर दुनिया में खुद को शांति दूत के रूप में पेश करना चाहता है.
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