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मझिआंव- बरडीहा प्रखंड इन दिनों इस वर्ष भीषण गर्मी की चपेट में है। जिससे जन जीवन अस्त-व्यस्त सा हो गया है। इन दिनों हिट वेज की वजह से क्षेत्र के लोग सुबह 10 बजे ही घर में लोग दुबक जा रहे हैं। जिले का अधिकतम तापमान 46 डिग्री और न्यूनतम तापमान 37 डिग्री पहुंच गया है। पिछले वर्ष कम बारिश होने एवं इस समय भीषण गर्मी के कारण क्षेत्र के कोयल एवं बांकी नदी बिल्कुल सूख चुकी है।
कोयल नदी किनारे मझिआंव नगर पंचायत क्षेत्र बसा हुआ है और भीषण गर्मी के कारण जल स्तर काफी गिर चुका है। जिसको लेकर मझिआंव मुख्य बाजार एवं नगर पंचायत क्षेत्र के लोग पानी की भारी समस्या से जूझ रहे हैं। वहीं कोयल एवं बांकी नदी के किनारे तिन दर्जन से अधिक गांव बसा हुआ है। जिसमें बुढ़ीखांड, खरसोता, मोरबे, ओबरा, दलको, तलशबरिया, बभनी, बरछाबांध, टड़हे, सरसतिया, दवनकारा, सेमरी, जत्रोबंजारी, कुसुमियादामर, आदर इनके साथ कई अन्य गांव शामिल हैं।
इस भीषण गर्मी में दोनों नदियों में पानी बिलकुल सूख चुका है। जिसके कारण क्षेत्र में जल स्तर बिल्कुल गिर चुका है। जिससे नगर पंचायत एवं प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों चापाकल में पानी नहीं आ रहा है। वहीं नदी में पानी नहीं होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के मवेशी, जंगली जानवर हिरण, नीलगाय, बंदर, लंगूर इनके साथ अन्य जानवरों को पानी की तलाश के लिए भटकना पड़ रहा है। साथ ही ग्रामीण इलाके में कुआं, चंपालाल, बोरिंग सूख गए हैं। प्रखंड क्षेत्र में नल-जल योजना एवं जल जीवन मिशन योजना निर्माणाधीन है। पूरे मझिआंव नगर पंचायत, मझिआंव एवं बरडीहा प्रखंड क्षेत्र में नल जल योजना के तहत पेयजलापूर्ति के लिए कई वर्षों से पानी पाइपलाइन बिछाई जा रही है।
इससे कितने वर्षों में पानी मिलेगा यह अभी कहना मुश्किल होगा। मझिआंव नगर पंचायत के लिए वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट व पानी टंकी की वर्ष पहले बनाया जा चुका है लेकिन पाइपलाइन नहीं बिछाए जाने के कारण क्षेत्र के लोग पानी पानी के लिए तरस रहे हैं। यह कब तक बनेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है। इसी तरह मझिआंव एवं बरडीहा प्रखंड क्षेत्र में कई वर्षों से पानी टंकी लगाए जा रहे हैं लेकिन सभी अधूरे पड़े हैं। इधर भीषण गर्मी से किसानों को काफी परेशानी हो रही है।
सब्जियां एवं अन्य फसल भी पानी के बिना सूख रहे हैं। बताते चले की जंगल में पानी सूख जाने कारण बरडीहा प्रखंड क्षेत्र के बभनी गांव में जंगल से भटककर एक हिरण 14 मई 2024 को गांव में पहुंच इसमें कुत्तों के झुंडों ने काटकर घायल कर दिया था। इसके बाद हिरण अपना दम तोड़ दिया। बताते चलें कि अगर ग्रामीण एवं जंगली क्षेत्र में पानी की सुविधा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में जानवर के साथ-साथ आम लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
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