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प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : istock
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उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में जुर्माना लगाने की शुरुआत निजी कॉलेजों से हुईं। निजी कॉलेजों ने आनन-फानन में तत्काल जुर्माना राशि जमा कर दी। अब इसकी आंच सरकारी कॉलेजों पर भी आ गई हैं। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की ओर से पहले निजी कॉलेजों पर आपत्ति की गई। चिकित्सा शिक्षकों की कमी होने पर उन पर जुर्माना लगाया गया। प्रदेश के 19 मेडिकल कॉलेजों पर 1.36 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। सूत्रों का कहना है कि तमाम निजी कॉलेजों ने आनन-फानन में जुर्माना राशि जमा कर दी।
वहीं, यह सवाल भी उठाया कि उनके कॉलेज जैसी ही कमी सरकारी कॉलेजों में भी हैं। ऐसे में सरकारी कॉलेजों पर क्या कार्रवाई की गई? इस आपत्ति के बाद एनएमसी ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की बायोमीट्रिक हाजिरी का विवरण नए सिरे से खंगाला और फिर जुर्माना लगाने का पत्र जारी कर दिया गया है।
निजी कॉलेजों को हर तरफ से फायदा
चिकित्सा शिक्षा विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि निजी कॉलेज जुर्माना जमा करके भी फायदे में हैं। वह छह लाख रुपये का जुर्माना जमा करने वाले कॉलेज का उदाहरण देते हैं। बताते हैं कि एक चिकित्सा शिक्षक को हर माह करीब एक लाख रुपये तनख्वाह देनी होती है। संबंधित कॉलेज में एमबीबीएस की 50 सीटें हैं। यहां मानक के मुताबिक 10 चिकित्सा शिक्षक कम हैं। ऐसे में हर माह 10 लाख का खर्च बचाकर छह लाख जमा कर दिया है। दूसरी तरफ इस जुर्माने के एवज में छात्रों पर अतिरिक्त भार डालना तय है। इस तरह वे हर तरह से फायदे में हैं लेकिन सरकारी कॉलेज किस मद से जुर्माने की रकम जमा करें, इसे लेकर पूरा विभाग माथापच्ची में जुटा है।
जीएसवीएम कानपुर पर 20 और कन्नौज पर 12 लाख का जुर्माना
एनएमसी की ओर से कॉलेजों पर जुर्माना लगाने का सिलसिला जारी है। सोमवार को जीएसवीएम कानपुर पर 20 लाख और राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज पर 12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। दोनों कॉलेजों को एनएमसी की नोटिस भेज दी गई है। अभी तक प्रदेश के 18 सरकारी कॉलेजों पर 87 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था, लेकिन सोमवार को दो अन्य कॉलेजों का नाम भी शामिल हो गया है। कानपुर और कन्नौज के कॉलजों को भेजी गई नोटिस में भी आधार लिंक आधारित हाजिरी नहीं होने की बात कही गई है। दोनों को सप्ताहभर का समय दिया गया है। ऐसे में आशंका है कि सभी कॉलेज इसकी जद में आ सकते हैं।
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