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फैक्टरी में जांच करते समिति के सदस्य
– फोटो : संवाद
विस्तार
अलीगढ़ में तालानगरी की जिस फर्नेस फैक्टरी में हादसा हुआ है,वह बिना फायर एनओसी के चल रही थी। वर्ष 2011 में भवन निर्माण के समय ली गई अस्थायी एनओसी ली गई थी, इसी से काम चलता रहा। इसके बाद कारखाना संचालन पर आगे की स्थायी एनओसी नहीं ली गई। बात अगर हादसे के साक्ष्यों की करें तो एडीएम सिटी की अगुवाई वाली जांच टीम ने शनिवार को तीन घंटे तक जांच की और टीम को कई साक्ष्यों पर संदेह है। जिनमें शॉकर, गैस सिलिंडर से विस्फोट के साथ-साथ स्टाफ की लापरवाही की वजह से भी विस्फोट का अंदेशा है। अभी इस टीम की जांच दो दिन और जारी रहेगी। इसके बाद ही लापरवाही व कार्रवाई तय होगी।
मनकामेश्वर फर्नेस फैक्टरी में 25 मई को एडीएम सिटी अमित कुमार भट्ट की अगुवाई वाली टीम जांच को पहुंची। करीब ग्यारह बजे पहुंची टीम ने दो बजे तक जांच की। जिसमें यूपीएसआईडीसी, कारखाना, विद्युत सुरक्षा, फायर सर्विस, उद्योग आदि विभागों के अधिकारी शामिल रहे। प्रथम दृष्टया मौके पर देखने से उजागर हुआ कि यह विस्फोट किसी प्रतिबंधित वस्तु के वायलर में जाने से हुआ है। प्रतिबंधित वस्तुओं में मौके पर छोटे-बड़े 40 सील बंद गैस सिलेंडर बरामद किए हैं। इन्हें तत्काल आपूर्ति टीम को बुलाकर लॉरिक गैस एजेंसी के सुपुर्द करा दिया गया। इसके अलावा कबाड़ में काफी संख्या में वाहनों के शॉकर, स्प्रे मशीन आदि बरामद हुए। इन उत्पादों को बिना तोड़े फोड़े वायलर में डालने से विस्फोट का अंदेशा रहता है।
तापमान 1800 डिग्री तक होने का तथ्य भी आया
इस दौरान जांच टीम ने कंपनी के मैनेजर, एकाउंटेंट सहित तीन कर्मचारियों के बयान लिए। मालिकान पक्ष से भी बात की गई। इस दौरान मृतकों में से एक कर्मचारी की इस लापरवाही की ओर इशारा किया गया कि फर्नेस 1600 डिग्री तापमान तक संचालित होती है। मगर किसी वजह से शनिवार शाम फर्नेस 1800 डिग्री तापमान तक पहुंच गई थी। उसमें माल भी कम पहुंच पाया था। इसी बीच कर्मचारी इधर उधर हुआ और उसमें कम माल व अधिक तापमान की वजह से गैस बनने से विस्फोट हुआ हो। इन तथ्यों को भी जांच का हिस्सा बनाया गया है। हालांकि बयानों में कुछ विरोधाभास होने के चलते इन पर भरोसा नहीं किया जा रहा है। मगर इन्हें नजरंदाज भी नहीं किया जा सकता।
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