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शहर के भुवाणा स्थित प्राइवेट मेग्नस हॉस्पिटल के एक डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही से 10 माह के मासूम की आंखों की रोशनी छिन जाने का आरोप लगा है।
शहर के भुवाणा स्थित प्राइवेट मेग्नस हॉस्पिटल के एक डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही से 10 माह के मासूम की आंखों की रोशनी छिन जाने का आरोप लगा है। बच्चे के पिता योगेश जोशी ने ये गंभीर आरोप डॉ. मनोज अग्रवाल पर लगाए।
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योगेश जोशी ने बताया कि 10 माह पहले मेरी पत्नी की प्री-मैच्योर डिलेवरी मेग्नस हॉस्पिटल में कराई थी। बच्चे के जन्म के करीब एक माह के अंदर आंखों का ROP (रेटिनोपैथी आफ प्रीमैच्योरिटी) टेस्ट होना जरूरी है लेकिन डॉक्टर अग्रवाल ने उनके बच्चे का यह टेस्ट नहीं करवाया। जोशी ने बताया कि जन्म के 5 माह तक वे अपने बच्चे को डॉ अग्रवाल को दिखाते रहे। डॉ. को बताते रहे कि मेरा बच्चा देख नहीं पा रहा आवाज और इशारों को समझ नहीं पा रहा। आंखों को इधर-उधर घुमाता है।
इस पर डॉक्टर बोलते रहे कि थोड़ा इंतजार करो, धीरे-धीरे समझने लग जाएगा। ऐसे में परिजनों ने जब दूसरे हॉस्पिटल में बच्चे का इलाज कराया तो उन्हें पता लगा कि अगर बच्चे का ROP टेस्ट समय पर हो जाता तो बच्चे की रोशनी नहीं जाती। लेकिन, डॉक्टर की लापरवाही से बच्चे की रोशनी हमेश के लिए चली गई। ऐसे में बच्चे के माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने चिकित्सा विभाग और पुलिस प्रशासन से डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
शहर के भुवाणा स्थित प्राइवेट मेग्नस हॉस्पिटल के एक डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही से 10 माह के मासूम की आंखों की रोशनी छिन जाने का आरोप लगा है।
मैंने ROP टेस्ट के लिए कहा था: डॉ अग्रवाल
इधर, मामले में जब डॉक्टर मनोज अग्रवाल ने बच्चे के माता-पिता के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। डॉक्टर बोले-मैंने बच्चे के माता-पिता को ROP टेस्ट कराने के लिए कहा था। उन्होंने कराया या नहीं। ये नहीं पता। बच्चे के इलाज से जुड़े दस्तावेजों में छेड़छाड़ के सवाल पर बोले, जो दस्तावेज वो दिखा रहे हैं उन पर मेरे साइन नहीं है। मैंने तो सारे दस्तावेज उनको दे दिए थे।
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