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‘सोल ऑफ सिंफनी’ पियानो कंजार्वेट्री की ओर से सालाना कंसर्ट ‘हार्मनी’ का आयोजन किया गया।
शहर के महाराणा प्रताप ऑडिटोरियम का नजारा कुछ अलग ही नजर आया। ऑडिटोरियम में एक ओर जयपुर की युवा पीढ़ी ने पियानो वाद्य पर एक से बढ़कर एक रोमांटिक और दिलकश धुनें बजाईं, वहीं दूसरी ओर रवीन्द्र उपाध्याय, डॉ. गौरव जैन, रिनी चंद्रा और हनी ट्रूपर जैसे नामी कला
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कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण यशस्वनी चतुर्वेदी के निर्देशन दो ग्रैंड पियानो पर पेश की गई सीता की व्याकुलता, राम के विरह और रावण की विवशता को दर्शाते भजन रहे।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण यशस्वनी चतुर्वेदी के निर्देशन में दो ग्रैंड पियानो पर पेश की गई। जिसमें सीता की व्याकुलता, राम के विरह और रावण की विवशता को दर्शाते भजन रहे। जिसका संगीत प्रेमियों बड़ी शिद्दत के साथ लुत्फ उठाया। इसके बाद रवीन्द्र उपाध्याय, डॉ. गौरव जैन, रिनी चंद्रा और हनी ट्रूपर की आवाज में पियानो की धुन पर रामायण के प्रसंगों की प्रस्तुति हुईं । इन प्रसंगों में भजन ‘कभी कभी भगवान को भी भक्तों से काम पड़े’ भजन के माध्यम से केवट प्रसंग, मेरी झोपड़ी के भाग खुले, राम आएंगे तो मैं अंगना सजाउंगी भजन के माध्यम से शबरी प्रसंग, चर्चित भजन जैसे सूरज की गर्मी से तपते हुए तन को मिल जाए तरूवर की छाया भजन के माध्यम से राम हनुमान मिलन के प्रसंग को जीवंत किया गया।
रवीन्द्र उपाध्याय, डॉ. गौरव जैन, रिनी चंद्रा और हनी ट्रूपर की आवाज में पियानो की धुन पर रामायण के प्रसंगों की प्रस्तुति हुईं ।
इससे पहले शहर के दर्जनों युवा कलाकारों पर पियानो पर बिलिवर्स, होटल केलीफोर्निया सहित कई चर्चित धुने बजाकर अपने हुनर का प्रदर्शन किया। समारोह के दौरान सोल ऑफ सिंफनी के निदेशक प्रदीप मणि चतुर्वेदी ने कंसर्ट के मुख्य अतिथि संगीत गुरु पंडित कुंदनमल शर्मा को शॉल ओढ़ाकर और तुलसी पौधे के साथ विशेष स्वागत किया। वहीं सोल ऑफ सिंफनी के एलुमिनाई विकास बगला को प्रतीक चिन्ह पेश किया गया।
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