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Canada Road Accident: कनाडा में साल 2018 की एक भीषण दुर्घटना में शामिल ड्राइवर को भारत डिपोर्ट किया जाएगा. दरअसल, इस दुर्घटना में जूनियर हॉकी टीम के 16 सदस्यों की मौत हो गई थी. साल 2014 में भारत से कनाडा पहुंचे जसकीरत सिंह सिद्धू अल्बर्टा प्रांत के कैलगरी शहर में रहते थे.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सस्केचेवान प्रांत में टिस्डेल के पास एक ग्रामीण चौराहे पर सिद्धू के ट्रक की हम्बोल्ट ब्रोंकोस जूनियर हॉकी टीम की बस से टक्कर हो गई थी. छह अप्रैल, 2018 को हुए हादसे में बस में सवार 16 लोगों की मौत हो गई और 13 घायल हो गए.
हादसे में हुई थी 16 लोगों की मौत
सीबीएस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सिद्धू को निर्वासित करने का फैसला शुक्रवार को कैलगरी में आव्रजन और शरणार्थी बोर्ड की सुनवाई के दौरान आया है. उसने खतरनाक तरीके से ट्रक चलाने से संबंधित 16 बिंदुओं पर 2019 में अपनी गलती कबूल कर ली थी. इस हादसे में 16 लोगों की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए. उसे पिछले साल पूर्ण पैरोल दी गई थी.
सुनवाई में क्या कहा?
बोर्ड के आव्रजन विभाग की ओर से ट्रेंट कुक ने 15 मिनट की सुनवाई के दौरान सिद्धू से कहा कि वह मानवीय और करुणा संबंधी पक्षों पर विचार नहीं कर सकते. सिद्धू के वकील माइकल ग्रीन ने कहा था कि यह फैसला पहले से तय था. ग्रीन ने कहा कि सिद्धू को निर्वासित करने के लिए केवल इस बात का सबूत चाहिए था कि वह कनाडाई नागरिक नहीं है और उसने एक गंभीर अपराध किया है.
याचिका दायर करेगा सिद्धू
वकील ने कहा कि अभी और भी कानूनी और प्रक्रियात्मक कदम उठाने होंगे और सिद्धू को महीनों या सालों तक निर्वासित नहीं किया जा सकता है. सीबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रीन ने कहा कि वह जल्द ही एक याचिका दायर करने की योजना बना रहे हैं, जिसमें सरकार से मानवीय आधार पर सिद्धू का स्थायी निवासी दर्जा वापस करने के लिए कहा जाएगा.
गंभीर बीमारी से पीड़ित है सिद्धू का बच्चा
वकील ने कहा कि सिद्धू और उसकी पत्नी का अब एक बच्चा है, जो कनाडा में पैदा हुआ था और बच्चे को हृदय एवं फेफड़ों की गंभीर बीमारी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिवार के कई सदस्यों ने कहा है कि वे सिद्धू को निर्वासित करना चाहते हैं. हालांकि, सीबीसी न्यूज ने कहा कि दुर्घटना में अपने 18-वर्षीय बेटे इवान को खोने वाले स्कॉट थॉमस ने कहा है कि उन्होंने सिद्धू को माफ कर दिया है और यहां तक कि उनके कनाडा में रहने की वकालत भी की है.
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