अजित सिंह
सोनभद्र ओबरा डाला में तेज रफ्तार के साथ खुले वाहनों में पत्थर-बोल्डर की ढुलाई, यह मनमानी कहीं लोगों के जान पर पड़ न जाए भारी
कहीं हादसे का कारण न बन जाए पत्थर-बोल्डर ढुलाई में लगें वाहन,
सोनभद्र। जिले के ओबरा की खदानों से निकलने वाले ट्रिपर और अन्य बड़े वाहन बड़े हादसे का कारण बनने को आतुर दिखलाई दे रहे हैं। छमता से अधिक बोल्डर लादकर कस्बे की सड़कों पर दौड़ रहे ट्रिपर और अन्य बड़े वाहनों से गिरने वाले बोल्डर छोटी वाली हाफ इंची गिट्टी बस्सी सड़क पर इधर-उधर बिखरे पड़े हुए हैं। जिनसे आवागमन में परेशानी होने के साथ-साथ इन वाहनों से बराबर दुर्घटना का भी अंदेशा बना रहता है। वजह बताया जाता है कि ओवरलोड बोल्डर लदे वाहनों पर सुरक्षा के कोई भी बंदोबस्त का ना होने से सड़क पर ब्रेकर या गड्ढा इत्यादि आने पर इन वाहनों के ब्रेकर पर आने, हिचकोले लेने पर बोल्डर या गिट्टी छिटकर गिरने का भय बना रहता है। ऐसे में वाहनों कि पीछे और बगल से गुजरने वाले छोटे वाहनों कार,आटो,बाइक सवार तथा पैदल जा रहे लोगों को अधिक खतरा बना रहता है। मजे की बात है। कि इस पर किसी भी अधिकारी व संबंधित महकमे के लोगों का ध्यान ना जाने से ऐसे वाहन चालक सुरक्षा नियमों की खुली अनदेखी करते हुए धड़ल्ले से ओबरा,डाला,की सड़कों पर दौड़ रहे हैं,जिनसे बराबर जान माल का लोगों को खतरा बना रहता है।ओबरा कस्बे से होकर मुख्य मार्ग हाईवे पर आने वाले मार्ग बघ्घानाला, शारदा मंदिर, बिल्ली चढ़ाई ,बिल्ली स्टेशन गजराज नगर डाला रोड रेलवे क्रॉसिंग के आसपास में सड़कों की दोनों पटरियों पर बोल्डर छोटी वाली गिट्टी धूल बस्सी के बिखरे हुए ढ़ेर को देखा जा सकता है। मजे की बात है इधर से अधिकारी व संबंधित महकमे के लोगों का गुजरना होता है, रोड़ों के किनारे इतनी बस्सी बोल्डर और हाफ इंची छोटी वाली गिट्टी धूल बस्सी डस्ट से प्रदूषण होता है।आने जाने वाले राहगीरों को प्रदूषण झेलना पड़ता है।लेकिन किसी अधिकारी को नज़रें इस पर नहीं पड़ती हैं। पूर्व में कई लोग रात्रि के समय सड़क की पटरियों पर बिखरे खदानों से निकलने वाले पत्थर के बोल्डर से टकराकर घायल भी हो चुकें हैं बावजूद इसके ऐसे लोगों पर न तो कोई कार्रवाई हो रही है ना ही ऐसे वाहनों पर नकेल कसी जा रही है।आशंका जताई जा रही है कि शायद किसी बड़े हादसे के बाद ही प्रशासन का नजरें इस ओर इनायत होंगी।
—धूल से बचने के लिए नहीं होता पानी का छिड़काव—
खदानों, क्रेशर प्लांट से निकलने वाले खनिजों से उड़ने, गिरने वाले डस्ट कण सड़कों की दोनों पटरियों पर जमा होकर आवागमन में जानलेवा साबित हो रहे हैं तो दूसरी ओर उड़ने वाले धूल कण लोगों को सांस लेने में तकलीफ़ पैदा कर रहे हैं। आसपास के लोगों का कहना है कि इसके रोकथाम के लिए पानी का छिड़काव भी नहीं होता है। दिखावे और खानापूर्ति के लिए जब अधिकारी दौरे पर रहते हैं तो पानी का छिड़काव सुबह शाम देखने को मिलता है। जैसे ही अधिकारी जाते हैं, वैसे ही पानी का छिड़काव भी बंद हो जाता है। सड़क की पटरियों पर जमें धूल और बालू इत्यादि के कड़ आवागमन में बाधक बने होने के साथ-साथ दुर्घटना का कारण भी बन रहे हैं।
—-बख्शीश के चक्कर में भर रहे हैं फर्राटा—-
सड़क के किनारे बोल्डर उठाकर किनारे करतें हुए ड्राइवर बताते हैं कि ड्राइवर को हर चक्कर का बख्शीश मिलता है जो₹20 से लेकर ₹50 इस लिए वह और रफ्तार से चलते हैं ताकि जितना ज्यादा चक्कर लगाएंगे उतना उनको फायदा होगा। जानकार बताते हैं कि ज्यादा चक्कर लगाने खदान मालिक भी खुश, क्रेशर मालिक भी खुश और ड्राइवर भी खुश हो जाते हैं। यही कारण है कि तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं जिसकी रफ्तार 80 किमी प्रति रफ्तार होता है। ऐसे में तेज रफ्तार कमाई से जुड़ गया इससे भले ही किसी क अंग-भंग हो जाए इससे इन्हें कोई लेना देना नहीं उनके सामने जो भी आएगा उसको यह कुचल दें या ठोक दे दुर्घटना होने के बाद अक्सर ड्राइवर फरार हो जाता है। या खदान, क्रेशर प्लांट मालिक रुपयों और ऊंचे रसूख के बल पर उनकी आवाज को दबा देते हैं।
बताया जाता है कि गाड़ी की रफ्तार 80 प्रति किलोमीटर होता है और यह ओवरटेक भी करते हैं। गाड़ी में ओवरलोड बोल्डन लेकर भी चलते हैं और ओवरटेक भी करते हैं। जिससे पशु, साइकिल, मोटरसाइकिल चलने वाले लोगों का और आसपास के ग्राम वासियों का भय का माहौल बना हुआ है। रोड पर पत्थर गिरने से आने-जाने वाले लोगों को इन वाहनों से खतरा बना रहता है। वहीं छोटे वाहनों पर पत्थर, बोल्डर पर बड़े वाहन से गिरने से छोटे वाहनों को भी खतरा बना रहता है। रोड के किनारे बस्सी, गिट्टी, बौल्डर से आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है आने जाने वाले लोगों को प्रदूषण से शरीर पर सफेद धूल से ढक जाता है।