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नई दिल्ली14 मिनट पहले
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मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने छठे फेज के दौरान 25 मई को दिल्ली में एक बूथ पर फैमिली के साथ जाकर वोट डाला।
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने दिल्ली में एक पोलिंग बूथ पर वोट डाला। इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर बात की, जिसमें चुनाव आयोग के फॉर्म 17सी डेटा और बूथ-वाइज वोटर टर्नआउट पब्लिश करने को लेकर कोई भी निर्देश देने से इनकार कर दिया है।
सीईसी राजीव कुमार ने कहा कि उन्होंने सच स्वीकार कर लिया है। संदेह का माहौल पैदा करने की कोशिश की जा रही है। हम एक दिन निश्चित रूप से सभी के साथ इस पर चर्चा करेंगे।
राजीव बोले कि यहां क्या खेल है, संदेह क्यों पैदा किए जाते हैं। हम एक दिन यह सामने लाएंगे और सभी को दिखाएंगे कि लोगों को कैसे गुमराह किया जाता है। लोगों के मन में कैसे संदेह पैदा होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 मई को ECI की वेबसाइट पर फॉर्म 17सी डेटा अपलोड करने और बूथ-वाइज वोटर टर्नआउट डेटा पब्लिश करने की मांग वाली याचिका पर कोई भी निर्देश देने से इनकार कर दिया है।
जम्मू-कश्मीर में जल्द होंगे विधानसभा चुनाव
राजीव कुमार ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव हाेंगे। राजीव बोले- लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में हुई वोटिंग चुनाव आयोग उत्साहित है, इसलिए वहां बहुत जल्द विधानसभा चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जम्मू-कश्मीर के लोग अपनी सरकार डिजर्व करते हैं। यह सुनना, बहुत सुकून भरा है कि लोग बड़ी संख्या में मतदान करने आ रहे हैं। लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत हो रही हैं।
आयोग के लिए वोटर टर्नआउट ऐप आ बैल मुझे मार जैसा
ADR की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस दत्ता ने कहा था- वोटर टर्नआउट ऐप पर वोटिंग डेटा अपलोड करना आयोग के लिए आ बैल मुझे मार जैसा हो गया है, पहले वैधानिक जरूरत नहीं होते हुए ऐसा किया। अब जब वोटिंग डेटा 48 घंटे में सार्वजनिक करने की मांग हो रही है तो आयोग हिचकिचा रहा है।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की वेकेशन बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि लोकसभा चुनाव के 5 फेज की वोटिंग हो चुकी है। बेंच ने कहा- अब सिर्फ दो फेज की ही वोटिंग बाकी हैं। ऐसे में डेटा अपलोडिंग के लिए मैनपावर जुटाना चुनाव आयोग के लिए मुश्किल होगा।
काेर्ट ने कहा- हमने लोकसभा चुनाव प्रक्रिया में दखल नहीं देने का रवैया अपनाया है। जस्टिस दत्ता ने मौखिक टिप्पणी में कहा- हमें संवैधानिक संस्थाओं पर भरोसा करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि एडीआर की ओर से इस बारे में 2019 में लगाई गई मूल याचिका पर चुनाव के बाद नियमित बेंच में सुनवाई होगी।
वोटिंग प्रतिशत में फर्क आने पर याचिका लगाई गई
लोकसभा चुनाव शुरू होने के बाद वोटिंग के दिन चुनाव आयोग वोटर टर्नआउट जारी करता है। इसके कुछ दिन बाद वह इस फेज के फाइनल डेटा जारी करता है। कांग्रेस, ADR और तृणमूल ने दोनों डेटा में अंतर आने के बाद ही सवाल उठाए और सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई।
याचिका के मुताबिक, चुनाव आयोग ने 19 अप्रैल को पहले चरण के मतदान के 11 दिन बाद और 26 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान के चार दिन बाद 30 अप्रैल को फाइनल वोटिंग पर्सेंट जारी किया था। इसमें वोटिंग के दिन जारी शुरुआती आंकड़े के मुकाबले वोटिंग पर्सेंट लगभग 5-6 प्रतिशत ज्यादा था।
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