ब्रह्मा जी के मानस पुत्र के रूप में पहचान मिली. जिसे वर्तमान युग में लोग ब्रह्म ऋषि नारद के नाम से लोग जानते हैं.”
देव ऋषि नारद तीनों लोकों में कभी भी कहीं भी प्रकट हो सकते हैं नारद मुनि को पौराणिक ग्रंथों में देवताओं के प्रमुख दूत के रूप में बताया गया है. नारद मुनि न सिर्फ देवताओं तक सूचना पहुंचाते थे, बल्कि वे राक्षसों को भी सूचनाएं देते थे. नारद मुनि तीनों लोकों में हर प्रकार की सूचनाओं का आदान प्रदान करते है, यही कारण है की उन्हें इस ब्रह्मांड का प्रथम पत्रकार कहा जाता है.
भगवान नारायण ने अपनी वीणा ब्रह्म ऋषि नारद जी को प्रदान कर दी. इसी वीणा को लेकर ब्रह्म ऋषि नारद जी तीनों लोकों के अलावा पूरे ब्रह्मांड पर भ्रमण करते रहे. ब्रह्म ऋषि नारद ही एक ऐसे भगवान हैं, जो सभी लोकों पर अपने मन और गति के अनुसार बिना किसी रोक-टोक के भ्रमण करते रहते थे।
नारद जी को देवताओं की सूचना राक्षसो तक और राक्षसों की सूचना देवताओं तक पहुंचने में महारथ हासिल था। इसीलिए इनको झगडा लगाऊ मुनि भी कहा गया। नारद जी के पेट मे कोई बात पचती नही थी बल्कि किसी बात की जानकारी जैसे मिली देवता और राक्षसों तक पहुचाने के बाद चैन लेते थे।
ब्रह्मांड के प्रथम पत्रकार ब्रह्म ऋषि महर्षि नारद जी को शत शत नमन।