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श्रीराम, 105 वर्षीय बुजुर्ग वोटर।
पुराने समय में उम्मीदवार और मतदाता दोनों अपने-अपने वादों के पक्के होते थे, जो उम्मीदवार परिवार के मुखिया के पास सबसे पहले आकर वोट मांगता था, तो उस मुखिया के जितने सपोटर होते थे वे सभी उसी उम्मीदवार की एक ही जगह वोट देते थे। दूसरी पार्टी का उम्मीदवार
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मोबाइल से होता है प्रचार
गांव निवासी बुजुर्ग श्रीराम बताते है कि वोट डालने के लिए कई किलोमीटर बैल गाड़ी और बैलों के तांगे में जाता थे। जब उम्मीदवार जीत जाता था तो धन्यवाद करने भी गांव में आता था, यदि कोई काम पड़ता तो काम भी करता था। लेकिन आज ना तो उम्मीदवार वादे पूरे करते, ना ही आजकल मतदाता खुलकर उम्मीदवार को वोट की हां भरते। वोटर सबका स्वागत करते है, आज कल तो अब सोशल मीडिया और पोस्टर के माध्यम से प्रचार होता है और मतदान तक प्रचार किया जाता है।
परिवार के सदस्य भी नहीं देते एक को वोट
श्रीराम बताते है कि आज ऐसा समय आ गया कि परिवार के सारे सदस्य भी एक सहमति से वोट नहीं डालते। सब अपने हिसाब से वोट डालने लगे है। पहले चौपालों में चुनाव का प्रचार किया जाता था, अब मोबाइल ही प्रचार का मुख्य साधन बन गया है। बुजुर्ग श्रीराम ने सभी से अनुरोध किया है कि अपने मताधिकार का प्रयोग जरूर करें। जिससे हम अपनी अच्छी सरकार को चुन सकें जो अपने देश और देश के किसान, मजदूर, नौजवान तथा व्यापारियों के बारे में सोचें।
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