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भगवान नृसिंह का लीला महोत्सव जयपुर के चौड़ा रास्ता स्थित ठिकाना ताड़केश्वर मंदिर में मनाया गया।
भगवान विष्णु के अवतार भगवान नृसिंह का दो दिवसीय लीला महोत्सव जयपुर के चौड़ा रास्ता स्थित ठिकाना ताड़केश्वर मंदिर में मनाया गया। इस दौरान शहर के अन्य नृसिंह मंदिरों में भी भगवान नृसिंह की मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना की गई। चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश
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मन्दिर पुजारी विश्वास व्यास ने बताया कि भगवान नृसिंह के हाथ में प्रहलाद रूपी छोटे बच्चे को गोद देने की परंपरा है। मान्यता है कि भगवान का रूप धारण किए व्यक्ति से आशीर्वाद लेने पर घर में सुख-शांति के अलावा बीमारी का प्रकोप मिट जाता है। वहीं,शहर के पुरानी बस्ती नृसिंह मन्दिर, पुरोहित पाड़ा, ब्रह्मपुरी स्थित प्राचीन नृसिंह मंदिर में शाम साढ़े सात बजे से नृसिंह लीला का मंचन किया। इसके अलावा शहर के बाबा हरिश्चन्द्र मार्ग, खेजडों का रास्ता, कल्याण जी का रास्ता, जौहरी बाजार सहित विभिन्न मंदिरों में भी नृसिंह लीला महोत्सव का आयोजन धूमधाम से किया गया।
मंडल अध्यक्ष अखिलेश शर्मा ने बताया कि ताड़केश्वर मन्दिर में विगत 224 वर्षो से लीला महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि लीला से पूर्व एक माह तक विधिवत पूजा अर्चना के साथ भगवान नृसिंह व वराह देव के मुखोटे की गुप्त पूजा अर्चना की जाती है। इस दौरान भगवान को 56 भोग का भोग अर्पित किया जाता है। 90-90 किलो वजनी इन मुखोटों को नर्सिंह लीला महोत्सव पर ही बाहर निकाला जाता है। इस मौके पर भगवान के मुखोटों का सोने चांदी के आभूषण से भव्य श्रृंगार किया जाता है।
पुजारी विश्वास व्यास ने बताया कि लीला के पहले दिन भगवान नृसिंह देव खम्ब फाड़कर प्रकट हुए और नगर भ्रमण पर निकले। जिसके तहत चौड़ा रास्ता, त्रिपोलिया बाजार, गोपाल जी का रास्ता में लीला दर्शन देंगे। महोत्सव में भगवान के दर्शनों के लिए शहर के हजारों भक्त मन्दिर पहुंचें।
मंडल उपाध्यक्ष युवराज व्यास ने बताया कि लीला के दौरान भगवान नृसिंह देव व वराह देव की राधा दामोदर मन्दिर, द्वारकाधीश मन्दिर, काले गणेश मंदिर व गोवर्धननाथ मंदिरों से पूजा अर्चना की गई। यात्रा मार्ग पर विभिन्न व्यापार मंडलों की ओर से भगवान की भव्य आरती के साथ पुष्प वर्षा की की गई।
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