[ad_1]
नई दिल्ली (Kyrgyzstan Violence against International Students). किर्गिस्तान के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले हजारों विदेशी स्टूडेंट्स फंसे हुए हैं. वह अपने हॉस्टल या फ्लैट से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. किर्गिस्तान के लोकल युवा लड़के उनके हॉस्टल और फ्लैट के ठीक बाहर खड़े होकर उनके बाहर निकलने का इंतजार कर रहे हैं. हमने किर्गिस्तान से एमबीबीएस कर रहे कई लड़कों से बात की. वह बहुत ज्यादा डरे हुए हैं और जल्द से जल्द भारत आना चाहते हैं.
किर्गिस्तान में दंगे की आग भड़क रही है. वीडियो देखकर वहां के हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है. बच्चे बिना मतलब एक बार फिर लॉकडाउन में हैं. उनकी समस्या किसी बीमारी से ज्यादा बड़ी है. वह अपने घरों से हजारों किलोमीटर दूर फंसे हुए हैं. वह एक ऐसी जंग के बीच में हैं, जिसमें उनका कोई रोल नहीं है. हॉस्टल में रहने वालों से ज्यादा दयनीय स्थिति फिलहाल उन स्टूडेंट्स की है, जो कॉलेज के पास किसी बिल्डिंग में कमरा लेकर रह रहे हैं. आप भी पढ़िए वहां के बच्चों की आपबीती-
यह भी पढ़ें- किर्गिस्तान हिंसा में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स, लगाई मदद की गुहार, हॉस्टल से निकलने में भी है खतरा
फ्लैट में कोई भी घुस जाता है- प्रवीण प्रजापति
‘मैम, मैं मध्य प्रदेश के उज्जैन का रहने वाला हूं. मैं किर्गिस्तान के एशियन मेडिकल इंस्टीट्यूट से एमबीबीएस कर रहा हूं. मैं अभी बहुत डरा हुआ हूं और भारत आना चाहता हूं. कुछ दिनों पहले पाकिस्तानी स्टूडेंट्स और किर्गिस्तान के लोकल स्टूडेंट्स के बीच कुछ इश्यू हो गया था. उसके बाद 3-4 लोकल छात्र हॉस्टल आ गए उन्हें मारने के लिए. लोकल्स ने इंस्टाग्राम पर लाइव कर दिया कि ये स्टूडेंट्स उन्हें परेशान कर रहे हैं. इसके बाद पहले हॉस्टल्स पर और फिर विदेशी स्टूडेंट्स पर अटैक होने लगे (जो भी किर्गिस्तान से बाहर का रहने वाला है). मैं फ्लैट में रहता हूं. बिल्डिंग में कोई सिक्योरिटी नहीं है. कोई भी कभी भी आ सकता है. मेरे साथ 3 और इंडियन स्टूडेंट्स रहते हैं. हम सभी रेस्क्यू की उम्मीद कर रहे हैं. हमें बाहर निकलने से मना किया गया है और हम खुद भी बहुत डरे हुए हैं. लेकिन हम कितने दिन अंदर बंद रहेंगे. दो दिन पहले एक दोस्त बाहर निकला था तो उसका फोन छीन लिया गया. लोकल स्टूडेंट्स फ्लैट के बाहर ही खड़े रहते हैं (ज्यादातर 18-25 की उम्र के हैं)’.
प्रवीण प्रजापति (लेफ्ट), राजस्थान के रहने वाले महिपाल (राइट)
लोकल्स रूम खाली करवा रहे हैं- लक्ष्य यादव
मैं राजस्थान के अलवर जिले का रहने वाला हूं. किर्गिस्तान के एशियन मेडिकल इंस्टीट्यूट से एमबीबीएस कर रहा हूं. यह मेरा 7वां सेमेस्टर है. सरकारी आदेश पर सभी कॉलेज बंद कर दिए गए हैं. एक हफ्ते तक हमारी क्लासेस ऑनलाइन मोड में होंगी. उसके बाद हमें कॉलेज जाना होगा. 18 मई के बाद से यहां का माहौल बहुत खराब है. मैं जिस बिल्डिंग में रहता हूं, वहां कोई सिक्योरिटी नहीं है. कई बार रात में भी दरवाजे पर लोग खड़े होते हैं, जिसकी वजह से हम सभी डरे हुए हैं. कॉलेज प्रशासन ने ग्रॉसरी भिजवाई थी और हमारे पास स्टोरेज में भी थोड़ा सामान है, अभी उसी से काम चल रहा है. लोकल टीचर्स हेल्प कर रहे हैं लेकिन कुछ स्टूडेंट्स तक कोई मदद नहीं पहुंच पा रही है. एंबेसी से कॉन्टैक्ट किया था. हमारे कुछ ग्रुप्स बने हुए हैं. वहां रेगुलर अपडेट्स मिल रहे हैं. अलग-अलग हॉस्टल और फ्लैट्स के वीडियो शेयर किए जा रहे हैं. कई मकान मालिक बच्चों से फ्लैट खाली करवा रहे हैं. इस हालत में हम लोग कहां जाएं. हम इंडिया आना चाहते हैं लेकिन अभी फ्लाइट डबल रेट पर है. हम उसे अफोर्ड नहीं कर सकते हैं.
किर्गिस्तान का मशहूर एशियन मेडिकल इंस्टीट्यूट
3 हजार से ज्यादा भारतीय स्टूडेंट्स फंसे हुए हैं- रोहित पांचाल
मेरा नाम रोहित पांचाल है और मैं मध्य प्रदेश के उज्जैन का रहने वाला हूं. मैं किर्गिस्तान के कांट में स्थित एशियन मेडिकल इंस्टीट्यूट से एमबीबीएस कर रहा हूं. मैं यहां 2022 से रह रहा हूं. यहां लोकल युवा और विदेशी स्टूडेंट्स के बीच लड़ाई हो गई थी. पहले इजिप्ट वालों से हुई लड़ाई का वीडियो वायरल हुआ था. उसके बाद 18 मई को किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में लोकल युवाओं ने विदेशी स्टूडेंट्स को तंग किया था. हॉस्टल में घुसकर मारपीट भी की थी. कांट बिश्केक से करीब 20 किलोमीटर दूर है. सीनियर्स बता रहे हैं कि उनसे फ्लैट खाली करवाए जा रहे हैं. हम 4 दिनों से बाहर नहीं निकले हैं, बहुत खतरा है. लोकल टीचर्स काफी सपोर्टिव हैं. पूरी मदद कर रहे हैं. लेकिन बाकी लोकल रेजिडेंट्स का व्यवहार शुरू से ही बहुत अच्छा नहीं था. हम लोगों को लैंग्वेज बैरियर का सामना भी करना पड़ता है. एंबेसी ने हेल्पलाइन नंबर दिया है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से बात हो गई है. हमें अंदर रहने का आदेश दिया गया है. कॉलेज का स्टाफ हमसे कनेक्टेड है.
रोहित पांचाल
इन बच्चों की बातें हमने जस की तस लिखी हैं. इनके साथ ही इनके घरवाले भी काफी परेशान हैं. परिजन अपने बच्चों को जल्द से जल्द भारत बुलाना चाहते हैं. इसके लिए वह कोई भी कीमत देने को तैयार हैं. लेकिन बच्चे एयरपोर्ट तक पहुंचें कैसे? पहुंच भी गए तो डायरेक्ट फ्लाइट की व्यवस्था नहीं है. स्टूडेंट्स की मानें तो इस समय किर्गिस्तान में करीब 30 हजार भारतीय स्टूडेंट्स हैं. उनमें से 3 हजार तो सिर्फ एशियन मेडिकल इंस्टीट्यूट से ही एमबीबीएस कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें
Tags: Abroad Education, Foreign university, MBBS student, Medical Students
FIRST PUBLISHED : May 22, 2024, 06:24 IST
[ad_2]
Source link