[ad_1]
भरतपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह का पत्नी दिव्या सिंह व बेटे अनिरुद्ध सिंह से विवाद कोर्ट तक पहुंच गया है।
.
विवाद की जड़ में राजघराने की करोड़ों की प्रॉपर्टी और पूर्व राजपरिवार का बेशकीमती स्वर्ण-आभूषण और एंटीक आइटम का शाही भंडार है।
इस विवाद की कहानी की शुरुआत विश्वेंद्र सिंह की ओर से उपखंड अधिकारी ट्रिब्यूनल भरतपुर में प्रार्थना पत्र देकर वरिष्ठ नागरिक के रूप में पत्नी और बेटे से भरण-पोषण मांगने से हुई।
दोनों ने एक दूसरे पर लगाए आरोप
विश्वेंद्र सिंह का आरोप है कि पत्नी दिव्या सिंह और बेटा अनिरुद्ध सिंह मारपीट करते हैं। भरपेट भोजन नहीं देते। लोगों से मिलने भी नहीं देते हैं। वे घर (मोती महल) छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। खानाबदोश जैसा जीवन जी रहे हैं। कभी सरकारी आवास में तो कभी होटल में रहना पड़ रहा है।
इसके जवाब में दिव्या सिंह और अनिरुद्ध सिंह ने आरोप लगाए हैं कि विश्वेंद्र सिंह ने विरासत में मिली हजारों करोड़ की संपत्ति को बेच दिया है। अब वो मोतीमहल को भी बेचना चाहते हैं, जो हम होने नहीं देंगे। एक बार तो विश्वेंद्र सिंह ने एडवांस तक ले लिया था। 99 साल की लीज पर देने की तैयारी भी कर ली थी। अब ये हम लोगों को बदनाम कर रहे हैं।
पिता और पुत्र ने एक-दूसरे पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
भास्कर ने मामले में अनिरुद्ध सिंह से बात की…
भास्कर : मोती महल को लेकर क्या विवाद है?
अनिरुद्ध : विवाद की शुरुआत 3 साल पहले हुई थी, जब इन्होंने (विश्वेंद्र सिंह) अपना बकाया साफ करने के लिए ऑलमोस्ट मोती महल को बेच दिया था। इस संबंध में कोर्ट का दस्तावेज भी हमारे पास है।
वो डॉक्युमेंट पहले भी सोशल मीडिया पर शेयर हुआ है। अब मेरी साइड से ये बाहर आना ठीक नहीं है। क्योंकि इंटरनल मैटर है, लेकिन जिसको शेयर करना था उन्होंने कर दिया था।
अभी जो हो रहा है, ये विवाद भी नया नहीं है। ये विवाद 6 मार्च को ही एसडीएम कोर्ट में आ गया था। इसके बाद से इस मामले की लगातार सुनवाई चल रही थी।
हमारी तरफ से हर पेशी पर वकील कोर्ट पहुंच रहे थे और हमारा पक्ष भी रख रहे थे। इसके उलट उनकी साइड से एप्लिकेशन और एब्सेंस की डिले टैक्टिक्स चल रही थी।
इस कोर्ट मैटर को पब्लिक आई में लाने का मकसद सिर्फ और सिर्फ एसडीएम पर प्रेशर बनाना है। उन्होंने हम लोगों पर जो भी आरोप लगाए हैं, वो बेबुनियाद हैं।
हमने इस संबंध में पहले से ही एसडीएम को सभी डॉक्युमेंट दे दिए हैं और आगे भी जरूरत पड़ेगी तो दे देंगे।
ये बात तो सत्य ही है कि भरतपुर रियासत को देश में रियासतों के एकीकरण के बाद क्या मिला था और अब बिक-बिक कर क्या रह गया है…ये सभी को मालूम है।
अब बात रही मेरी और मेरी माता की आर्थिक सफलता की तो इससे किसी की आंख में आंसू आए तो मैं क्या कर सकता हूं। हम लोग उनसे मांग के तो नहीं कमा रहे हैं। अपनी मेहनत से ही कमा रहे हैं।
भास्कर : विश्वेंद्र सिंह को ये क्यों कहना पड़ा कि पत्नी और बेटा मुझे महल में नहीं घुसने दे रहे हैं? मेरे कपडे़ भी फेंक दिए हैं और खाना भी नहीं दे रहे हैं?
अनिरुद्ध : वो तीन साल से अपनी ही इच्छा से घर (महल) में नहीं हैं, क्योंकि उनके कारनामे ही ऐसे हैं। वो कारनामे एक परिवार के माहौल में नहीं हो सकते हैं।
दूसरी बात यह है कि उन्हें पिछले 6 साल से वाई प्लस सिक्योरिटी मिली हुई है। क्या वो ये कहना चाहते हैं कि उनकी सिक्योरिटी ब्रीच हुई है। वो जो कह रहे हैं उसका क्या एविडेंस हैं?
3 साल पहले जब वो घर में थे, तब वो कैबिनेट मंत्री थे। उन्होंने गहलोत सरकार में मंत्री रहते हम पर जो अत्याचार किए हैं, उनके बारे में हम मुंह खोल दें तो?
ये बातें तो फालतू की हैं। एक वाई प्लस सिक्योरिटी वाले आदमी को आप कैसे कह सकते हो कि मार रहे हैं और पीट रहे हैं? और अगर ये हुआ है तो उस टाइम क्यों नहीं बताया उन्होंने? 3 साल बाद अब क्यों बोल रहे हैं?
भास्कर : आखिर आप लोगों के बीच क्या प्रॉपर्टी विवाद है?
अनिरुद्ध : देखिए, प्रॉपर्टी विवाद ये है कि सेल्फ मेड और सेल्फ एक्वायर्ड प्रॉपर्टी को आप कुछ भी कीजिए। उस पर मेरा कोई हक नहीं है, लेकिन ये मेरे परदादा के टाइम की प्रॉपर्टी को बेचना चाहते हैं, इसको तो हम नहीं बेचने देंगे।
ऐसी कई विरासत वाली प्रॉपर्टी जैसे बंद बरेठा महल, आगरा की कोठी को बेच दिया है। इनमें से कई प्रॉपर्टी जैसे आगरा की कोठी को इन्होंने दो बार बेच दिया है।
कई जगहों पर इन्होंने मेरे और मेरी माता के हस्ताक्षर ही कॉपी कर लिए। इसमें फाइनेंशियल फ्रॉड का बहुत बड़ा एंगल है। इसके आगे अब और क्या हो सकता है?
भास्कर : राजपरिवार की जो प्रॉपर्टी बेची गईं, वो आपके उनके साथ रहते बेची गई थीं?
अनिरुद्ध : सही है, उस समय हमें गुमराह करके प्रॉपर्टी बेची गई थीं। उस समय भी इस विषय पर बहस होती थी और सवाल उठाए जाते थे कि ये क्यों बेच रहे हो?
कई चीजें तो हमें उनके साथ रहते भी पता नहीं चल पाती थी। अगर मैं आपके फ्रॉड साइन कर रहा हूं तो आपको पता थोड़ी चलेगा?
ये सभी प्रॉपर्टी उस समय बेची गईं, जब आधार कार्ड नहीं होता था और न ही फिंगर प्रिंट्स की कोई जरूरत पड़ती थी।
उन्होंने सबके साइन कर दिए और हो गया काम। इनकी पूरी लॉयर टीम धोखाधड़ी का ही तो काम करती है।
करीब चार साल से भरतपुर के पूर्व राजपरिवार में विवाद चल रहा है। इससे पहले भी विश्वेंद्र सिंह के बेटे ने पिता पर कई तरह के आरोप लगाए थे। ये फोटो साल 2020 का है।
भास्कर : आपने आरोप लगाया कि विश्वेंद्र सिंह मोती महल बेच रहे थे। हमें पता चला है कि वो इसे लीज पर दे रहे थे। सच क्या है?
अनिरुद्ध : अगर किसी को 99 साल की लीज दें तो क्या वो उसके लिए मालिकाना हक नहीं हो जाएगा। मैं और मेरे बच्चे तो कभी वहां कुछ कर नहीं पाएंगे। लगभग ये उसे बेचना ही तो है।
वहीं ये लीज भी नहीं था। एक बार तो उन्होंने सेल भी कर दिया था। हर बार इसे लीज बताना भी ठीक नहीं है।
भास्कर : राजपरिवार की कौन-कौनसी प्रॉपर्टी बेची जा चुकी हैं?
अनिरुद्ध : इसे बताने में काफी टाइम लगेगा। फिर भी आप सुन लीजिए आगरा की हरी पर्वत कोठी, बंद बरेठा महल (किशन महल), महल खास (सिटी पैलेस भरतपुर), शिमला की कई प्रॉपर्टी, गोवर्धन का मुकुट मुखारबिंद मंदिर, गोवर्धन का महारानी श्री जया मंदिर, मथुरा, जतीपुरा और सालचा की जमीनें, मोती महल परिसर के बाहर की जमीनें, दिल्ली के अमृता शेरगिल मार्ग पर स्थित घर और पुष्कर के घाट बेच दिए गए हैं। हालांकि मैं आपको सब कुछ तो नहीं बता सकता हूं क्योंकि मामला अभी कोर्ट में है।
भास्कर : राजपरिवार की कौन-कौनसी प्रॉपर्टी पर केस चल रहे हैं?
अनिरुद्ध : कोर्ट में किसी भी प्रॉपर्टी पर केस नहीं चल रहा है। इनके व्यवहार को लेकर इन्होंने जो कम्प्लेन की है, उसी पर केस चल रहा है।
हम लोग तो जागरूक सिटीजन हैं। ऐसे में अब हम साइन नहीं करेंगे और न ही किसी को मोती महल को बेचने देंगे।
भास्कर : राजपरिवार की कौन-कौनसी प्रॉपर्टी का अधिकार आपके पास है?
अनिरुद्ध : देखिए, ये सभी एसेंशियल प्रॉपर्टीज हैं जो हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली एक्ट और दूसरे एक्ट के तहत ये सारी प्रॉपर्टीज शेयर्ड फैमिली की हैं।
मोती महल में हम रहते हैं। सूरज महल है और दरबार निवास है, ये सब तो हमारे पास ही हैं।
भास्कर : आपकी माताजी दिव्या सिंह ने कहा था कि अगर मैंने मुंह खोला तो बात सुप्रीम कोर्ट तक जाएगी। वो कौनसी बात है?
अनिरुद्ध : ये बातें तो मुझे मालूम हैं, लेकिन यहां बताना और बिना उनकी परमिशन के बताना सही नहीं है। अगर समय आएगा तो वो अपना मुंह खोलेंगी।
ये तो उनका डिसीजन है कि वो कब अपना मुंह खोलें। इस पर मैं कोई कमेंट करूं, ये ठीक बात नहीं होगी।
भास्कर : क्या भरतपुर राजपरिवार में विवाद के बाद अब कोई समझौते की गुंजाइश बची है?
अनिरुद्ध : नहीं-नहीं, अब ये मामला कोर्ट में है। कोर्ट में जब भी कोई जाता है तो एक्स्ट्रीम कंडीशन ही होती है।
इतना बड़ा बतंगड़ भरतपुर की एक पर्टिकुलर कम्युनिटी ने बनाया है। मेरी माता के लिए भद्दे कमेंट करना कि वो राजपूत-गुर्जर बैकग्राउंड से आती हैं।
अरे, मेरी दादी भी राजपूत बैकग्राउंड से ही आती हैं तो अब ये लोग सोशल मीडिया पर क्या बकवास कर रहे हैं। मेरे ऑफिस में इन सभी सोशल मीडिया ट्रोलर्स की लिस्ट है और हम ऐसे सभी लोगो पर केस भी करने वाले हैं।
विश्वेंद्र सिंह ने बात करने से इनकार किया
भास्कर ने मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह से बात कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन फोन स्विच ऑफ था।
इस पर भास्कर रिपोर्टर उनसे मिलने जवाहर रिसॉर्ट पहुंचा। वहां से उनके PSO पवन कुमार को कॉल लगाया तो उन्होंने बताया कि फिलहाल वो रेस्ट कर रहे हैं।
देर शाम पीएसओ पवन कुमार का दोबारा फोन आया और उन्होंने बताया कि विश्वेंद्र सिंह इस मामले में कोई भी स्टेटमेंट नहीं देना चाहते हैं।
वाद में विश्वेंद्र सिंह ने लगाए कई आरोप
- आरोप 1 : एसडीएम कोर्ट में दिए गए भरण-पोषण के वाद में विश्वेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि पत्नी दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह ने उनकी तरफ से पत्नी दिव्या सिंह को डोनेट की गई कोठी इजलास खास में तोड़-फोड़ कर काफी जमीन बेच दी है।
- आरोप 2 : इतना ही नहीं, उन्हें उनके पिता महाराजा कर्नल बृजेंद्र सिंह से विरासत में मिली संपत्ति से उनकी पत्नी दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह ने बाहर निकाल दिया है। इन संपत्ति में करीब 100 एकड़ में फैले हुए मोती महल सर्वेंट क्वार्टर के साथ, 1,82,952 वर्ग फीट क्षेत्र में फैली कोठी इजलास खास भरतपुर, मोती महल परिसर में ही 87,145 वर्ग फीट क्षेत्र में बना कोठी दरबार निवास भरतपुर, मोती महल परिसर में ही बना सूरज महल, मोती महल परिसर में बने अलग-अलग मंदिर शामिल हैं।
- आरोप 3 : वाद में विश्वेंद्र सिंह ने बताया था कि उन्होंने दिल्ली में पत्नी दिव्या सिंह के रहने के लिए उनके नाम पर 2498 वर्ग फीट में बनी कोठी K-90A हॉज खास एन्क्लेव खरीदी थी। जिसे दिव्या सिंह ने किराये पर दे दिया है और इसका किराया भी खुद ही ले रही हैं।
दिव्या सिंह और अनिरुद्ध सिंह ने शनिवार को भरतपुर में आरोपों पर जवाब दिया था।
कोर्ट से की ये मांग
विश्वेंद्र सिंह ने कोर्ट से भरण-पोषण की राहत दिलाने के साथ ही मोती महल, कोठी दरबार निवास, सूरज महल, गोलबाग परिसर में स्थित सभी मंदिर, भवन और देवालय का कब्जा दिलाने की राहत मांगी है।
इतना ही नहीं, उन्होंने इस वाद में कोर्ट से कोठी इजलास खास का पत्नी के नाम किया गया दान पत्र निरस्त करने, 9 करोड़ 37 लाख रुपए के गहनों और महल में रखे गए सभी एंटीक और बेशकीमती सामान का कब्जा दिलाने की राहत मांगी है।
दिव्या सिंह और अनिरुद्ध सिंह की ओर से शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोती महल बेचने के आरोप लगाने के बाद विश्वेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर अपना पक्ष रखते हुए बताया था कि ‘मोती महल को बेचने के आरोप झूठे और निराधार हैं। इस ऐतिहासिक विरासत को बेचने की मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता।’
अगली सुनवाई 24 को
मामले में भरतपुर एसडीएम कोर्ट में विश्वेंद्र सिंह की तरफ से पैरवी कर रहे वकील यशवंत सिंह फौजदार ने बताया- सोमवार को सुनवाई में दिव्या सिंह और अनिरुद्ध सिंह की तरफ से पेश हुए वकीलों ने ऑब्जेक्शन पेश करते हुए बताया कि पूर्व महाराजा और पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने भरण-पोषण का जो वाद कोर्ट में दायर किया है। उसकी सुनवाई का अधिकार इस कोर्ट को नहीं है और यहां ये केस सुनवाई के लिए बनता ही नहीं है। जिसे लेकर विश्वेंद्र सिंह की तरफ से पक्ष रखते हुए वकीलों ने बहस की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अब इस केस में 24 मई की अगली तारीख दी है।
[ad_2]
Source link