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धुर्वा में स्मार्ट सिटी की 10 एकड़ जमीन पर मंत्रियों के 11 आलीशान बंगले का निर्माण अंतिम चरण में है। वहीं धुर्वा के कुटे में नए विधानसभा के पास विधायकों के लिए भी 70 डुप्लेक्स का निर्माण चल रहा है। इसके लिए अफसरों ने सारे नियम कानून ताक पर रख दिए हैं।
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मंत्रियों के बंगले का निर्माण जुडको करा रहा है, जबकि डुप्लेक्स का निर्माण भवन निर्माण विभाग करा रहा है। बंगले का काम 90 फीसदी पूरा हो चुका है। जुलाई तक इसे हैंडओवर करने की तैयारी है। वहीं डुप्लेक्स भी 50 फीसदी तक बन चुका है। लेकिन नगर निगम के टाउन प्लानिंग के इंजीनियरों ने दोनों प्रोजेक्ट की जांच तक करना उचित नहीं समझा।
जबकि आम लोग बिना नक्शा पास कराए अपने लिए एक तल्ला भवन का भी निर्माण करता है तो उस पर केस दर्ज कर दिया जाता है। वर्षाें तक कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैँ। कई बार भवन तोड़ने का भी आदेश आ जाता है। रांची नगर निगम और आरआरडीए कोर्ट में ऐसे ही अवैध निर्माण से संबंधित पांच हजार से अधिक केस चल रहे हैं। तीन हजार से अधिक मामले में भवन तोड़ने का आदेश आ चुका है। जिन लोगों के घर तोड़ने के आदेश आए हैं, वे अब आरआरडीए ट्रिब्यूनल और अन्य कोर्ट में केस लड़ रहे हैं।
स्मार्ट सिटी में मंत्रियों के लिए 10 एकड़ में बन रहे 11 आलीशान बंगले, 90% काम पूरा
सरकारी हो या आम लोगों का आवास, सबके लिए नक्शा जरूरी
नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि झारखंड बिल्डिंग बायलॉज के तहत नगर निगम और आरआरडीए क्षेत्र में बनने वाले सभी भवन, उसके रेनोवेशन सहित किसी भी संरचना के निर्माण के लिए नक्शा पास कराना अनिवार्य है। आम लोगों के भवनों के लिए शुल्क तय है। एक हजार वर्गफीट के भवन का नक्शा पास कराने के लिए करीब 16 हजार रुपए सरकारी फीस लगता है।
इसके अलावा 15 से 20 हजार रुपए सेवा शुल्क। लेकिन सरकारी भवनों का नक्शा पास कराने में मात्र एक रुपए लगते हैं। सरकारी भवनों का नक्शा पास कराने के लिए भी बिल्डिंग लेआउट प्लान को बिल्डिंग प्लान एप्रूवल मैनेजमेंट सिस्टम में ऑनलाइन अपलोड करना होता है। टाउन प्लानिंग के इंजीनियर साइट की जांच करने के बाद उसे स्वीकृत करते हैं। जो नियम आम लोगों के लिए है, वही सरकारी भवनों के लिए भी है।
नक्शा पास नहीं होने से क्या पड़ेगा असर
1. मंत्रियों और विधायकों का बंगला काफी हवादार जगह पर बन रहा है। फ्रंट साइट और रियर सेट बैक की समस्या नहीं होगी, लेकिन नक्शा स्वीकृत नहीं होने से ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी नहीं होगा। कभी किसी तरह का हादसा हुआ तो जिम्मेदार को खोजना मुश्किल होगा। 2. फायर फाइटिंग, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सहित अन्य संरचनाओं की जांच नगर निगम करता है। जब नक्शा ही स्वीकृत नहीं होगा तो निगम जांच भी नहीं करेगा। ऐसे में संबंधित संरचनाओं का निर्माण हुआ या नहीं इसकी जांच नहीं होगी। 3. आम लोगों में गलत संदेश जाएगा। क्योंकि, बिना नक्शा स्वीकृत कराए बन रहे आम लोगों के भवनों पर अवैध निर्माण का केस दर्ज होता है,जबकि दूसरी ओर माननीयों के बंग्ला के लिए नियम-कानून को ताक पर रख दिया गया है।
नक्शा पास है या नहीं, पता नहीं
मंत्रियों के बंगले का नक्शा पास कराया गया है या नहीं, इसकी जानकारी मेरे पास नहीं है। स्वीकृत नहीं हुआ तो उसे कराया जाएगा। जुलाई में बंगला हेंडओवर करने के बाद आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। –गोपालजी, प्रोजेक्ट डायरेक्टर,जुडको
नक्शा कहां से पास हुआ, नहीं जानता
स्मार्ट सिटी में बनने वाले भवनों का नक्शा पास करने के लिए स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन ही सक्षम है। मंत्रियों के बंगले का नक्शा कहां से पास हुआ पता नहीं। अगर नक्शा पास नहीं होगा तो विभाग से पत्राचार होगा। –अमीत कुमार, प्रशासक, रांची निगम
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