[ad_1]
आईसीजे की स्थापना 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा की गई थी.इसका मुख्य काम देशों के बीच कानूनी विवादों को निपटाना है.द. अफ्रीका ने आईसीजे में इजरायल के खिलाफ पीटिशन दाखिल की है.
International Court of Justice : इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) इस समय इजरायल के खिलाफ सुनवाई को लेकर चर्चा में है. दक्षिण अफ्रीका ने आईसीजे में इजरायल के खिलाफ पीटिशन दाखिल की है. आईसीजे ने गाजा के दक्षिणी शहर रफह में इजरायल के सैन्य अभियान को रोकने के लिए दक्षिण अफ्रीका की पीटिशन पर गुरुवार को सुनवाई शुरू की. दक्षिण अफ्रीका ने आरोप लगाया है कि गाजा में हमास के खिलाफ युद्ध में इजरायल की सैन्य कार्रवाई नरसंहार के समान है. यह चौथा मौका है जब दक्षिण अफ्रीका ने आईसीजे से आपातकालीन उपाय अपनाने का अनुरोध किया है.
यूएन का हिस्सा है आईसीजे
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) संयुक्त राष्ट्र (UN) का हिस्सा है और इसकी स्थापना 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा की गई थी और इसने अप्रैल 1946 में काम करना शुरू किया था. इसका मुख्य काम देशों के बीच कानूनी विवादों को निपटाना है. इसके अलावा आईसीजे का काम संयुक्त राष्ट्र और इसकी विशेष एजेंसियों द्वारा संदर्भित कानूनी सवालों पर सलाह देना भी है. इसे विश्व न्यायालय के तौर पर भी जाना जाता है. इसका मुख्यालय नीदरलैंड्स के हेग में स्थित है और इसके फैसले बाध्यकारी और अंतिम हैं. आईसीजे की आधिकारिक कामकाजी भाषाएं अंग्रेजी और फ्रेंच हैं.
कैसी है आईसीजे की संरचना
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में 15 न्यायाधीश होते हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा नौ साल के लिए चुना जाता है. ये दोनों निकाय एक समय पर, लेकिन अलग-अलग मतदान करते हैं. निर्वाचित होने के लिए किसी उम्मीदवार को दोनों निकायों में पूर्ण बहुमत प्राप्त होना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय की कुल संख्या के एक-तिहाई सदस्य हर तीन साल में चुने जाते हैं. एक न्यायाधीश को फिर से निर्वाचित किया जा सकता है, लेकिन वह दो कार्यकाल से अधिक की सेवा नहीं कर सकता. आईसीजे को एक रजिस्ट्री द्वारा सहायता दी जाती है. रजिस्ट्री आईसीजे का स्थायी प्रशासनिक सचिवालय है.
ये भी पढ़ें- Explainer: रतन टाटा की हुई एयर इंडिया के खिलाफ पुराने केस नहीं चल सकते, क्या है आर्टिकल 12 जिसका जजों ने दिया हवाला
इन क्षेत्रों से लिए जाते हैं न्यायाधीश
1 अफ्रीका से तीन
2 लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों से दो
3 एशिया से तीन
4 पश्चिमी यूरोप और अन्य देशों से पांच
5 पूर्वी यूरोप से दो
ये सरकार के प्रतिनिधि नहीं होते
अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अन्य निकायों के विपरीत इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में सरकार के प्रतिनिधि नहीं होते है. न्यायालय के सदस्य स्वतंत्र न्यायाधीश होते हैं, जिन्हें दायित्व ग्रहण करने से पूर्व शपथ लेनी होती है कि वे अपनी शक्तियों का निष्पक्षता और शुद्ध अंत:करण ये उपयोग करेंगे. आईसीजे के न्यायाधीशों की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए किसी भी सदस्य को तब तक बर्खास्त नहीं किया जा सकता, जब तक कि अन्य सदस्य एकमत न हो कि वह आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं करता है. अभी तक किसी भी न्यायाधीश को पद से हटाया नहीं गया है.
ये भी पढ़ें- Explainer: कौन हैं स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री जिनको गोली मारी गई, क्यों उनसे नाराज चल रही थी देश की जनता
कैसे करता है काम
आईसीजे का काम है विवादास्पद मामलों को निपटाना और सलाहकार क्षेत्राधिकार. विवादास्पद क्षेत्राधिकार उन देशों के बीच विवादों से संबंधित हैं, जिन्होंने आईसीजे के अधिकार क्षेत्र को सहमति दी है. सलाहकार क्षेत्राधिकार संयुक्त राष्ट्र महासभा, सुरक्षा परिषद या संयुक्त राष्ट्र की विशेष एंजेसियों द्व्रारा आईसीजे को संदर्भित कानूनी प्रश्नों से संबंधित है. आईसीजे के फैसले केवल विवादास्पद क्षेत्राधिकार के मामलों में बाध्यकारी होते हैं.
क्या हैं आईसीजे के काम
आईसीजे का अधिकार क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय संधियों की व्याख्या और आवेदन से संबंधित विवादों को लेकर है. आईसीजे का मुख्य कार्य देशों के बीच कानूनी विवादों को सुलझाना है. क्षेत्र, समुद्री सीमाओं, संधियों की व्याख्या और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर विवादों को सुलझाने के लिए देश न्यायालय के समक्ष मामले ला सकते हैं. न्यायालय के निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होते हैं, और देश उनका पालन करने के लिए बाध्य होते हैं.
आईसीजे में भारतीय न्यायाधीश
दलवीर भंडारी (27 अप्रैल 2012 से सदस्य)
रघुनंदन स्वरूप पाठक (1989-1991)
नागेंद्र सिंह (1973- 1988)
सर बेनेगल राव (1952-1953)
Tags: ICJ, Israel, South africa, United Nation
FIRST PUBLISHED : May 17, 2024, 13:03 IST
[ad_2]
Source link