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23 सदस्यों वाला स्वदेशी परिवार, चार पीढ़ियां एक साथ
– फोटो : स्वयं
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यहां एक तवे पर रोटियां भले ही कई सिकती हैं, पर चूल्हा सिर्फ एक है। भौतिकवादी युग में जहां एकल परिवार का चलन बढ़ रहा है, वहीं शहर में अभी भी ऐसे कई परिवार हैं, जिसकी तीन से चार पीढ़ियां आज भी एक ही छत के नीचे एक साथ रहती हैं। यह उन एकल परिवारों के लिए एक मिसाल हैं जो संयुक्त परिवार में नहीं रह पाते हैं। ऐसे में संयुक्त परिवार दूसरे एकल परिवारों के लिए उदाहरण है।
1994 को हुआ था पहला परिवार दिवस
आज विश्व परिवार दिवस है। यह हर साल 15 मई को मनाया जाता है। सबसे पहले विश्व परिवार दिवस संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने मनाना शुरु किया गया था। 15 मई 1994 को पहली बार इसका आयोजन हुआ।
23 सदस्यों वाला स्वदेशी परिवार, चार पीढ़ियां एक साथ
रामघाट रोड स्थित विष्णुपुरी निवासी प्रमुख कारोबारी सुभाष चंद्र अग्रवाल स्वदेशी ने धर्मपत्नी कमलेश अग्रवाल के साथ करीब 59 वर्ष पहले 1965 में कपड़ों की एक दुकान खोली थी। धीरे-धीरे उन्होंने कारोबार को बढ़ाया। दूसरी पीढ़ी में उनके तीन बेटे क्रमश : अरुण अग्रवाल, संजय अग्रवाल व पंकज अग्रवाल ने रेलवे रोड पर एक शोरूम खोला। अब अरुण अग्रवाल के बेटे अंकित अग्रवाल, अर्पित अग्रवाल, संजय अग्रवाल के बेटे अभिषेक अग्र्रवाल, पंकज अग्रवाल के बेटे असीम अग्रवाल इसे आगे बढ़ा रहे हैं। परिवार की तीसरी पीढ़ी ने अपना तीसरा प्रतिष्ठान मैरिस रोड पर खोला है। तीनों प्रतिष्ठानों का संचालन संयुक्त रूप से परिवार के सदस्यों द्वारा किया जा रहा है। परिवार के सभी सदस्य एक साथ ही एक ही छत के नीचे रह रहे हैं। एक ही चूल्हे में बना खाना खा रहे हैं। चौथी पीढ़ी के रूप में अंकित अग्रवाल के बेटे अयांश भी 23 सदस्यों वाले इस परिवार का हिस्सा हैं। यह संयुक्त परिवार एक मिसाल बन चुका है।
तीनी पीढ़ी.. राजाराम मित्र परिवार के 24 लोग एक साथ
गांधीनगर निवासी प्रमुख समाजसेवी राजाराम मित्र का तीन पीढ़ियों वाला 24 लोगों का संयुक्त परिवार भी मिसाल है। इस परिवार में दूसरी पीढ़ी में पुत्र व पुत्रवधु के रूप में अटल कुमार वार्ष्णेय, उमा वार्ष्णेय, नितिन कुमार वार्ष्णेय, सरिता वार्ष्णेय, रतन वार्ष्णेय मित्र, ममता गुप्ता, विपिन राजा, वंदना गुप्ता, भुवनेश आधुनिक, दीपिका वार्ष्णेय, रंजन आधुनिक, अंजना वार्ष्णेय शामिल हैं। तीसरी पीढ़ी में अभिनव वार्ष्णेय, सक्षम वार्ष्णेय, वरुण वार्ष्णेय, कल्प वार्ष्णेय, तनिष्क वार्ष्णेय, प्रांजुल वार्ष्णेय, मोहित वार्ष्णेय, लव वार्ष्णेय, शुभांगी वार्ष्णेय, यशी वार्ष्णेय हैं। घर की महिलाएं अपने तय कार्यक्रम के हिसाब से काम करती हैं। मित्र परिवार एक ही छत के नीचे रहकर अच्छा उदाहरण पेश कर रहा है। घर के बच्चे तो बाबा और दादी के लिए खिलौने हैं। सुबह साथ में नाश्ता और शाम को एक साथ भोजन करना घर की परंपरा है।
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