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इंदौर लोकसभा सीट पर इस लोकसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत घटा है। इस सीट पर कांग्रेस के ऐन मौके पर दौड़ से बाहर होने के बाद बदले सियासी हालात में वोटिंग 2019 के मुकाबले करीब 7.5 फीसदी घटकर 61.75 फीसद रह गई है। जिला निर्वाचन कार्यालय के एक अधिकारी की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक, इंदौर में सोमवार को मतदान में कुल 25.27 लाख मतदाताओं में से 61.75 फीसदी ने वोट डाला।
कांग्रेस दौड़ के बाहर
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस की ओर से घोषित प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 29 अप्रैल को अपना पर्चा वापस ले लिया था। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए थे। नतीजतन इस सीट के 72 साल के इतिहास में कांग्रेस पहली बार चुनावी दौड़ से बाहर हो गई। इसके बाद कांग्रेस ने स्थानीय मतदाताओं से अपील की कि वे ईवीएम पर नोटा का बटन दबाकर भाजपा को सबक सिखाएं।
क्या कहता है इंदौर सीट का चुनावी इतिहास
इंदौर लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो भाजपा यहां से कांग्रेस को पिछले 35 साल से लगातार परास्त करती आ रही है। भाजपा ने अपने निवर्तमान सांसद शंकर लालवानी को लगातार दूसरी बार मैदान में उतारा था। इस सीट पर लालवानी समेत 14 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, लेकिन राजनीति के स्थानीय समीकरणों के कारण मुख्य जंग भाजपा उम्मीदवार और कांग्रेस समर्थित नोटा के बीच होने के कयास लगाए जा रहे हैं।
नतीजों पर टिकी नजरें
ऐसे में सियासी विश्लेषकों की निगाहें चार जून को होने वाली मतगणना पर है। अब चार जून को ही साफ होगा कि इंदौर सीट पर कौन बाजी मारता है और हार-जीत का अंतर कितना रहता है। इसी दिन साफ हो जाएगा कि कांग्रेस समर्थित नोटा कितना दमखम दिखा पाता है। इससे पहले ही भाजपा और कांग्रेस में जुबानी जंग तेज हो गई है। भाजपा ने दावा किया है कि मतदाताओं ने कांग्रेस की अपील को खारिज कर दिया है।
भाजपा-कांग्रेस में जुबानी जंग
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता आलोक दुबे ने दावा किया कि इंदौर के मतदाताओं ने कांग्रेस की नोटा की नकारात्मक अपील को पसंद नहीं किया और भाजपा यह सीट 10 लाख से ज्यादा मतों से जीतकर इस पर अपना कब्जा बरकरार रखेगी। वहीं प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने दावा किया कि इंदौर सीट पर जीत भले ही किसी भी उम्मीदवार की हो, लेकिन नोटा नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाएगा।
पिछली बार नोटा को मिले थे 5,045 वोट
बता दें कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान शंकर लालवानी ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को 5.48 लाख मतों से हराया था। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान इंदौर में 69.31 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था। पिछले लोकसभा चुनावों में इंदौर लोकसभा सीट पर नोटा को 5,045 वोट मिले थे। इस बार देखना होगा कि नोटा क्या गुल खिलाता है?
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