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नई दिल्ली1 मिनट पहले
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दिल्ली पुलिस ने 40 साल के एक शख्स को फ्लाइट्स में अपने को-पैसेंजर्स की ज्वेलरी और अन्य कीमती सामान चुराने के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपी ने बीते एक साल में 110 दिनों में 200 से ज्यादा फ्लाइट्स में ट्रैवल किया और चोरी की कई वारदातों को अंजाम दिया था। पुलिस ने इंदिरा गांधी एयरपोर्ट के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी सोमवार को दी।
डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस ऊषा रंगनानी के मुताबिक आरोपी का नाम राजेश कपूर है। उसे दिल्ली के पहाड़गंज से गिरफ्तार किया गया है जहां उसने चुराए हुए गहने रखे थे। वह इन गहनों को शरद जैन (46) नाम के शख्स को बेचने वाला था। पुलिस ने उसे भी करोल बाग से गिरफ्तार किया है।
रंगनानी ने बताया कि बीते तीन महीनों में दो अलग फ्लाइट्स में चोरी की दो वारदातें हुई थीं, जिसके बाद आरोपियों को पकड़ने के लिए इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से एक टीम बनाई गई। 11 अप्रैल को एक पैसेंजर का बैग गुम हो गया था, जिसमें 7 लाख रुपए की ज्वेलरी थी। इसके पहले 2 फरवरी को अमृतसर से दिल्ली की फ्लाइट में एक पैसेंजर के 20 लाख के गहने गुम हो गए थे।
पुलिस ने जांच के दौरान दिल्ली और अमृतसर के एयरपोर्ट्स और फ्लाइट के CCTV फुटेज चेक किए। एक शख्स दोनों फ्लाइट्स पर दिखा, जिसे पुलिस ने संदिग्ध माना। पुलिस ने एयरलाइंस से संदिग्ध आरोपी का नंबर पता किया, लेकिन पता चला कि उसने बुकिंग के समय फेक नंबर दिया था।
पुलिस ने तकनीकी सर्विलांस के जरिए आरोपी का नंबर निकाला। पूछताछ के दौरान आरोपी ने कबूल किया कि वह हैदराबाद समेत पांच ऐसे मामलों में शामिल रहा है। उसने ये भी बताया कि उसने ज्वेलरी की चोरी से कमाया ज्यादातर पैसा ऑनलाइन और ऑफलाइन जुए में गंवा दिया है।
पुलिस के मुताबिक, आरोपी चोरी, गुए और धोखाधड़ी के 11 मालों में शामिल था, जिसमें से पांच ममाले एयरपोर्ट के थे। आरोपी ऐसे पैसेंजर्स को टारगेट करता था, जो अकेले हों खासतौर से इंटरनेशनल ट्रैवल करने वाली बुजुर्ग महिलाएं।
पुलिस ने बताया कि आरोपी अंदाजा लगा लेता था कि ऐसे पैसेंजर्स अपने सामान में कीमती चीजें लेकर जाते हैं, इसलिए वह एअर इंडिया और विस्तारा जैसी प्रीमियम डोमेस्टिक फ्लाइट्स से दिलली, चंडीगढ़ और हैदराबाद के लिए ट्रैवल करता था।
प्लेन में बोर्डिंग के समय की अफरातफरी के बीच वह ओवरहेड केबिन में चुपके से विक्टिम के सामान की तलाशी लेता था और कीमती सामान चुरा लेता था। कई मौकों पर उसने टारगेट सेट करने के बाद अपनी सीट भी बदलकर टारगेट के पास वाली चुनी थी।
इतना ही नहीं, किसी की पहचान में न आने के लिए वह अपनी टिकट अपने मृत भाई के नाम पर बुक किया करता था।
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