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लोकसभा चुनाव से पहले तीन निर्दलीय विधायकों का हरियाणा की भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने से नायब सैनी सरकार अल्पमत में आ गई है। अब जननायक जनता पार्टी (JJP) के दुष्यंत चौटाला के कांग्रेस को समर्थन देने की बात पर संकट और बढ़ गया है। ऐसे में सवाल है कि क्या हरियाणा में नायब सरकार गिर जाएगी। दूसरी ओर भाजपा इस बात का दावा कर रही है कि प्रदेश में नायब सरकार को कोई खतरा नहीं है। इस पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने स्थिति स्पष्ट की है।
स्पीकर ने बताया कि राजभवन की तरफ से हरियाणा विधानसभा सचिवालय को इस संबंध में कोई पत्र नहीं भेजा गया। अभी तक तीन विधायकों द्वारा समर्थन वापस लिए जाने के संबंध में कोई अधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। उन्हें यह बात केवल मीडिया से ही पता चली है। गुप्ता ने कहा कि इस समय सदन में विधायकों की संख्या 88 है, लेकिन तकनीकी आधार पर भाजपा के 40, कांग्रेस के 30, जजपा के 10, 6 निर्दलीय, एक-एक हलोपा व इनैलो का विधायक है। गुप्ता ने कहा कि विधायकों द्वारा समर्थन वापसी का पत्र अगर राज्यपाल को भेजा गया है तो राज्यपाल को उस पर निर्णय करना है। राज्यपाल अपने फैसले के बारे में विधानसभा को भी सूचित करेंगे। इसके बाद आगे क्या कार्रवाई करनी और कब करनी है, इस बारे में भी फैसला राज्यपाल द्वारा ही लिया जाएगा।
छह माह तक दोबारा फ्लौर टेस्ट नहीं हो सकता
सरकार के फ्लौर टेस्ट के मुद्दे पर स्पीकर ने कहा कि 22 फरवरी को विधानसभा में विपक्ष द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर चुका है। 13 मार्च को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने विधानसभा के पटल पर विश्वास का मत हासिल किया है। ऐसे में छह माह तक दोबारा फ्लौर टेस्ट नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि आपात स्थिति में राज्यपाल को हर तरह का निर्णय करने का अधिकार है। राज्यपाल इस संबंध में कोई भी निर्णय लेकर विधानसभा को सूचित कर सकते हैं। दुष्यंत चौटाला द्वारा सरकार को गिराने के लिए हुड्डा को बाहरी समर्थन करने के बयान पर विधानसभा स्पीकर ने कहा कि अगर दुष्यंत के पास विधायकों का संख्या बल होगा तो वह राज्यपाल को जाकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। विधानसभा के रिकार्ड में विधायकों की जो स्थिति पहले थी, वही अब है।
हमारे तरकश में कई तीर, हुड्डा साहब की ख्वाहिश कभी पूरी नहीं होगी: अनिल विज
हरियाणा के तीन निर्दलीय विधायकों ने गत दिवस भाजपा से अपना समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को समर्थन देने पर पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि मुझे दुख है कि आजाद विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया लेकिन हुड्डा साहब की ख्वाहिश कभी पूरी नहीं हो सकती क्योंकि अभी हमारे तरकश में कई तीर हैं। जेजेपी के दुष्यंत और दिग्विजय के बयान पर पलटवार करते हुए विज ने कहा कि अगर जेजेपी कांग्रेस के साथ जाना चाहती है तो हम रोक नहीं सकते, ये सारी जिंदगी तो कांग्रेस के खिलाफ बोलते रहे अब कांग्रेस के साथ जाना चाह रहे हैं।
भाजपा सरकार से समर्थन पर क्या बोले निर्दलीय विधायक
करनाल के नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर ने कहा कि हमने राज्यसभा के चुनाव में, राष्ट्रपति के चुनाव में सरकार का समर्थन किया था, नायब सैनी को भी हमने अपना समर्थन दिया था। दो महीने हो गए चुनाव को चलते हुए नीलोखेड़ी, तरावड़ी, निसिंग में कई कार्यक्रम हुए, मुझे किसी भी कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया। अब मैंने हलका की जनता के कहने पर समर्थन वापिस ले लिया। हम तीन विधायकों ने समर्थन सरकार से वापिस लिया है। वहीं, चरखी दादरी के निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस को समर्थन देने की पूरी सच्चाई बताई। सांगवान ने सीएम नायब सैनी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो प्रदेशाध्यक्ष के भी काबिल नहीं, उसे हरियाणा का सीएम बना दिया। भाजपा के विधायक सिर्फ मनोहरलाल की भक्ति में लीन रहते हैं, उन्हें समाजहित से कोई सरोकार नहीं है। भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि भाजपा में सिर्फ अधिकारी ही ऐश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने वायदे करके उनके साथ धोखेबाजी की और निर्दलीय विधायकों को अंधेरे में रखा। जब उनकी सच्चाई सामने आई तो भाजपा से समर्थन वापसी का फैसला लिया।
लिखित में समर्थन दें दुष्यंत चौटाला: हुड्डा
भाजपा की सहयोगी पार्टी रही जननायक जनता पार्टी सुप्रीमो दुष्यंत चौटाला ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा का साथ देने के ऐलान पर नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जेजेपी पार्टी को सरकार की बी टीम बताया है। हुड्डा ने कहा कि अगर सरकार को गिराने में जननायक जनता पार्टी साथ देने की बात कह रही है तो वो लिखित में दें, तभी जाकर कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग करेगा। हुड्डा ने कहा कि करीब 40 पूर्व विधायक और सांसद कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।
रिपोर्ट: मोनी देवी
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