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नई दिल्ली1 घंटे पहले
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मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत, किसी भी शादीशुदा महिला, रेप विक्टिम, दिव्यांग महिला और नाबालिग लड़की को 24 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी अबॉर्ट करने की इजाजत दी जाती है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार (7 मई) को 20 साल की अविवाहित महिला की अबॉर्शन की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। महिला ने 27 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में अबॉर्शन की इजाजत मांगी थी।
हालांकि, कोर्ट ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में भ्रूण बिल्कुल स्वस्थ पाया गया है। प्रेग्नेंसी जारी रखने में मां और बच्चे को कोई खतरा नहीं है। ऐसे में अबॉर्शन कराना न तो नैतिकता के आधार पर ठीक होगा और न ही कानूनी रूप से स्वीकार्य होगा।
महिला ने कोर्ट में दलील दी थी कि वह अभी स्टूडेंट है और नीट की परीक्षा की तैयारी कर रही है। उसे 16 अप्रैल को अपनी प्रेग्नेंसी के बारे में पता चला था। तब 27 हफ्ते बीत चुके थे।
महिला ने कहा- मेरी अभी शादी नहीं हुई है। मेरी इनकम का भी कोई सोर्स नहीं है। प्रेग्नेंसी जारी रखने से मेरी बदनामी होगी। इससे मेरे करियर पर फर्क पड़ेगा।
कोर्ट ने कहा- बच्चे को एडॉप्शन के लिए देने के लिए आप स्वतंत्र
दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला से कहा कि डिलीवरी के लिए आप AIIMS जा सकती हैं। वहां आपको प्रेग्नेंसी जारी रखने को लेकर डॉक्टरों के अहम सुझाव भी मिलेंगे। डिलीवरी के बाद अगर आप बच्चे को एडॉप्शन के लिए देना चाहती हैं तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। एडॉप्शन जल्द से जल्द और बिना किसी दिक्कत के हो, यह केंद्र सरकार सुनिश्चित करेगी।
प्रेग्नेंसी अबॉर्शन का नियम क्या कहता है?
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत, किसी भी शादीशुदा महिला, रेप विक्टिम, दिव्यांग महिला और नाबालिग लड़की को 24 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी अबॉर्ट करने की इजाजत दी जाती है।
24 हफ्ते से ज्यादा की प्रेग्नेंसी होने पर मेडिकल बोर्ड की सलाह पर कोर्ट से अबॉर्शन की इजाजत लेनी पड़ती है। MTP एक्ट में बदलाव साल 2020 में किया गया था। उससे पहले 1971 में बना कानून लागू होता था।
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