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झारखंड में दो दिनों से ईडी का ऐक्शन जारी है। सोमवार को ईडी को ‘नोटों का पहाड़’ मिला। वहीं मंगलवार को भी दो करोड़ रुपए से ज्यादा कैश मिले। ईडी जांच में अब कई हैरान कर देने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। दरअसल, ईडी ने बताया है कि पहले दिन जो 35.23 करोड़ रुपए मिले थे वह केवल तीन महीने का कमीशन था। इसके अलावा ईडी ने पांच और बड़े राज बताए हैं।
35.23 करोड़ रुपए था तीन माह का कमीशन
ईडी जांच में मिले तथ्यों के मुताबिक, सोमवार को की गई कार्रवाई में बरामद किए गए 35.23 करोड़ रुपए तीन महीने का कमीशन था। जहांगीर के गाड़ीखाना स्थित फ्लैट से जो 31.20 करोड़ रुपये बरामद किए गए थे, वह महज तीन माह में जमा किए गए थे। फ्लैट की खरीद भी कुछ माह पूर्व जहांगीर के नाम पर सिर्फ इसलिए की गई थी, ताकि वहां जमा की जा रही रकम को रखा जा सके। मुन्ना सिंह के यहां से बरामद 2.93 करोड़ रुपये भी यहीं शिफ्ट किए जाने थे, लेकिन इससे पहले ईडी की टीम ने छापेमारी कर इन पैसों को बरामद कर लिया।
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फ्लैट में थी नो एंट्री
ईडी के अधिकारियों के मुताबिक, ग्रामीण विकास विभाग के ठेकों में बड़े पैमाने पर कमीशनखोरी का खेल हुआ है। इस कमीशनखोरी से होने वाली उगाही को सुरक्षित तरीके से रखने के लिए ही गाड़ीखाना के सर सैयद रेसीडेंसी में फ्लैट की खरीद की गई थी। इस फ्लैट में किसी का आना-जाना नहीं था, सिर्फ पैसे रखे जाते थे। हाल के दिनों में ठेकों में आवंटित कमीशन को ही यहां रखा गया था। ईडी की जांच में यह बात सामने आयी है कि ठेकेदारों के खास समूहों को ही ठेके का आवंटन होता था। इसके बाद इस राशि से कमीशन की वसूली राजीव कुमार सिंह व मुन्ना कुमार सिंह किया करते थे। इस पूरे मामले में विभाग के कई इंजीनियरों की भी संलिप्तता होती थी। जांच में यह बात सामने आयी है कि राजीव सिंह ने तकरीबन 10 करोड़ रुपये उगाही कर संजीव लाल को पहुंचायी थी।
ईडी ने बताए 5 राज
● कमीशनखोरी से होने वाली उगाही को रखने के लिए खरीदा गया था फ्लैट
● इस फ्लैट में किसी का आना-जाना नहीं था, सिर्फ पैसे रखे जाते थे
● ठेकेदारों के खास समूहों को ही ठेके का आवंटन किया जाता था
● कमीशन की वसूली राजीव सिंह और मुन्ना सिंह किया करते थे
● पूरे मामले में विभाग के कई इंजीनियरों की भी संलिप्तता होती थी
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