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रायबरेली में प्रियंका गांधी वाड्रा।
– फोटो : amar ujala
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रायबरेली पहुंचीं प्रियंका गांधी ने नए अंदाज में चुनाव अभियान का आगाज किया। उन्होंने चार पीढ़ियों से चल रहे रिश्तों की दुहाई दी। बड़ी लड़ाई के लिए आह्वान किया। कार्यकर्ताओं से 24 में से 20 घंटे देश के लिए मांगा।
रायबरेली में कार्यकर्ता सम्मेलन में उन्होंने कभी पुचकारा तो कभी आगाह किया। भाजपा का डर दिखाया तो संविधान रक्षा से लेकर पोलिंग बूथ पर सतर्क रहने का संदेश दिया। यहां तक कहा कि यदि डर रहे हों तो अभी पीछे हट जाना। आगे बढ़ना तो फिर रूकना नहीं। इस वक्तव्य के जरिये उन्होंने कार्यकर्ताओं को बूस्टर डोज देने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि हम में लड़ने की हिम्मत है। लड़ेंगे और जीतेंगे भी।
प्रियंका ने भाजपा सरकार की तुलना ब्रिटिश शासन से करते हुए कहा कि यह वक्त, उस वक्त से अलग नहीं है। देश में गरीबों और किसानों को नकारा जा रहा है। लोकतंत्र खतरे में है। लेकिन हर धर्म में सेवा का धर्म सिखाया जाता है। सत्य के साथ रहना चाहिए। यही हमारी राजनीति का आधार रहा है। उन्होंने रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस सरकार के कराए विकास कार्यों की दुहाई दी। यह भी कहा कि कई बार चाह कर भी यहां के लोगों की मदद नहीं कर पाई। किसी ने नल मांगा तो किसी ने सड़क। मांगना मतदाताओं का अधिकार है।
बार-बार बताया, किशोरी ने सिखाया
प्रियंका गांधी ने संबोधन में राहुल गांधी का सिर्फ दो बार नाम लिया। कहा कि वह बड़े भाई को जिताने के लिए आई हैं। क्योंकि रायबरेली और अमेठी का संदेश दूर तक जाता है। इस बीच उन्होंने किशोरी लाल शर्मा का बार-बार नाम लिया। कहा कि वर्ष 1999 में जब यहां आई तो किशोरी लाल ने ही चुनाव संचालन सिखाया है। आज जो भी है, सब उन्हीं की वजह से है। किशोरी ने ही यह बताया कि कार्यकर्ताओं से कैसे जुड़ा जाता है। वह चाहते थे कि मैं चुनाव लड़ूं लेकिन मैंने कहा कि आपको चुनाव लड़ाऊंगी। प्रियंका गांधी का बार-बार किशोरी का नाम लेने के पीछे भी सियासी निहितार्थ हैं। वह कार्यकर्ताओंको आश्वस्त करना चाहती हैं कि किशोरी लाल के जरिए वह परोक्ष रूप से खुद चुनाव लड़ रही हैं।
मोतीलाल, जवाहर लाल और इंदिरा की दिलाई याद
प्रियंका ने रायबरेली से मोतीलाल नेहरू और जवाहर लाल नेहरू का रिश्ता भी गिनाया। कहा कि वे यहीं से देश के लिए लड़े थे। वे लोकतंत्र के लिए लड़े थे। अब एक बार फिर लोकतंत्र की लड़ाई है। प्रियंका ने इंदिरा गांधी को याद करते हुए कहा कि वह भी इसी रायबरेली से चुनाव लड़ती थीं। हारी भीं लेकिन रायबरेली नहीं छोड़ी। अपनी कमियां दूर कीं। अगले चुनाव में इसी रायबरेली ने जीताया। प्रियंका ने इंदिरा गांधी का उदाहरण देकर अमेठी में राहुल गांधी के नहीं आने को लेकर उठ रहे सवालों का भी जवाब दिया। उन्होंने यह भी कहा कि वह पिताजी के साथ यहां आती थीं। फिर मां के चुनाव में आईं। इसके जरिये उन्होंने रिश्तों की डोर को मजबूत करने का भरसक प्रयास किया है।
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