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इसे राजनीतिक मजबूरी कहें या कोई बड़ा दांव, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) की तारीफ करके सबको चौंका दिया है। राजगढ़ में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान से ठीक पहले दिग्विजय सिंह के इस बयान के अलग-अलग मायने तलाशे जा रहे हैं। यह समझने की कोशिश की जा रही है कि जिस संगठन को लेकर दिग्विजय सिंह कठोरतम शब्दों का इस्तेमाल करते रहे हैं उसकी अचानक तारीफ क्यों कर दी?
हाल ही में एक लोकल टीवी चैनल से बातचीत में दिग्विजय सिंह ने जहां भाजपा की आलोचना की तो आरएसएस की तारीफ की। अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘मैं आरएसएस की विचारधारा का आलोचक हूं, लेकिन मैं संगठन की प्रतिबद्धता की तारीफ करता हूं। वजह यह है कि आरएसएस का गठन 1925 में हुआ था और पिछले एक सदी में उनका अजेंडा नहीं बदला है।’ दिग्विजय सिंह के बयान का मतलब समझते हुए भाजपा ने प्रतिक्रिया देने में देर नहीं की।
राजगढ़ में एक चुनावी बैठक के दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा, ‘दिग्विजय सिंह भाजपा और आरएसएस के बीच मतभेद पैदा करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिलेगी। पूरा देश जानता है कि उन्होंने विकास के मोर्चे पर कुछ नहीं किया और जब राज्य के मुख्यमंत्री थे तो सनातन धर्म के खिलाफ काम किया।’ राजगढ़ वरिष्ठ कांग्रेस नेता का गृहनगर है और यह उन 9 लोकसभा सीटों में से एक है जहां 7 मई को तीसरे फेज में मतदान होने जा रहा है। 18.69 लाख मतदाता राजगढ़ सीट पर 15 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे।
दिग्विजय सिंह 1993 से 2003 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में वह भोपाल सीट पर भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर से मुकाबले में 3.61 लाख वोट से हार गए थे। राजनीतिक विश्लेषक आरएसएस के सबसे कटु आलोचकों में से एक दिग्विजय सिंह के मुंह से संगठन के लिए निकले तारीफ के शब्दों के मायने तलाश रहे हैं। उनका कहना है कि इसे दिग्विजय सिंह के हृदय परिवर्तन के रूप में नहीं देखा जा सकता है, खासकर क्षेत्र में आरएसएस के काम और पकड़ को देखते हुए। आरएसएस की यहां सक्रियता की वजह से भाजपा ने यहां 1967, 1971, 1977, 1980 में जीत दर्ज की। इसके बाद 1989, 2004, 2014 और 2019 में भी भाजपा ने कमल खिलाया।
इस संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की सात सीटें आती हैं जो गुना, राजगढ़ और आगर-मालवा जिलों से हैं। इनमें से छह सीटों पर विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। राघोगढ़ के राजपरिवार से आने वाले दिग्विजय सिंह ने 1984 और 1991 में यहां जीत दर्ज की थी। उनके भाई लक्ष्मण सिंह इस सीट पर पांच बार जीत चुके हैं। वह चार बार कांग्रेस और एक बार भाजपा के निशान से जीत हासिल कर चुके हैं।
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