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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने राजगढ़ संसदीय क्षेत्र के कांग्रेस उम्मीदवार ने अपने चुनावी दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के राजनीतिक इतिहास पर सवाल उटाते हुए उन्हें आत्ममंथन की सलाह दी। राजगढ़ लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में चुनाव प्रचार के दौरान दिग्विजय ने यह भी कहा कि वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से संतुष्ट नहीं हैं।
पीटीआई से बातचीत में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजनीतिक इतिहास हिंदू-मुस्लिम विवाद पर आधारित है और उन्हें इस बात का आत्ममंथन करना चाहिए कि इससे किसे फायदा हो रहा है और इससे किसे नुकसान हो रहा है। सिंह ने वास्तविक मुद्दों के बजाय जाति और धर्म के आधार पर वोट मांगने के लिए भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने पूछा, ‘असली मुद्दों के आधार पर चुनाव कहां लड़ा जा रहा है?’ सिंह ने विकास के गुजरात मॉडल’ पर भी निशाना साधते हुए कहा, ‘अगर आप गुजरात के मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) को देखें तो आप पाएंगे कि यह देश के शीर्ष 10 राज्यों में भी शामिल नहीं है।’
भाजपा के नारे ‘अब की बार, 400 पार’ पर सिंह ने कहा कि अगर आप 2014 और 2019 को देखें, तो उन्होंने जो भी आंकड़ा दिया, उसे पार कर लिया। 2014 में उन्होंने 272 पार का नारा दिया और 284 सीटें जीतीं। इसी तरह, 2019 में उन्होंने 300 पार का नारा दिया और 303 सीटें जीतीं। हालांकि वे इस बार के दावे पर कुछ नहीं बोले। यह पूछे जाने पर कि क्या वह मानते हैं कि भाजपा की चुनावी सफलता में ईवीएम की भूमिका थी, सिंह ने कहा, कम से कम मैं इस पर विश्वास करता हूं।
उन्होंने यह भी कहा कि वह ईवीएम पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से वह संतुष्ट नहीं हैं लेकिन चुनाव के बाद इस बारे में बात करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को ईवीएम में हेरफेर के संदेह को निराधार करार देते हुए पुरानी पेपर बैलेट प्रणाली को वापस लाने की मांग को खारिज कर दिया था।
2019 के चुनावों की तुलना में लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में कम मतदान पर होने पर कांग्रेस नेता ने कहा, ‘सबसे पहले लोगों को इस बात पर संदेह है कि क्या उनका वोट ईवीएम में सही जगह पर दर्ज हो रहा है या नहीं। दूसरे, लोगों पर वोट देने का बहुत दबाव है और इसीलिए उन्हें वोट देने में कोई दिलचस्पी नहीं है। और तीसरा कारण मौजूदा लू हो सकता है।’
पिछली बार भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा की प्रज्ञा सिंह ठाकुर से हारने वाले सिंह ने दावा किया कि इस बार चुनाव को लेकर मतदाताओं में उत्साह की भी कमी है। इस बार सिंह का मुकाबला मौजूदा भाजपा सांसद रोडमल नागर से है। नागर 2014 से राजगढ़ से सांसद हैं। सिंह ने 1984 और 1991 में यह सीट जीती थी। 2009 में सिंह के शिष्य नारायण सिंह आमलाबे राजगढ़ से चुने गए। राजगढ़ में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होगा। राजगढ़ निर्वाचन क्षेत्र में 18,69,937 पात्र मतदाता हैं, जिनमें 9,60,505 पुरुष, 9,09,409 महिलाएं और 23 थर्ड जेंडर के व्यक्ति शामिल हैं।
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