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सपा प्रत्याशी प्रवीण सिंह ऐरन, भाजपा के छत्रपाल सिंह गंगवार
– फोटो : अमर उजाला
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रात के 10 बजे हैं। आला हजरत दरगाह की गली में कलाम गूंज रहे हैं। मोहल्ला सौदागरान में जियारत चल रही है। इसके बीच सियासी चर्चाएं भी जारी हैं…। यह माहौल बता देता है कि बरेली में चुनावी माहौल कैसा है। मुसलमान किसी तरह की गफलत में नहीं है। भाजपा के गढ़ में अपने वोट से देश को संदेश देने की बात कर रहे हैं। सवाल पर शबीबुल्लाह दबी जुबान में कहते हैं, देश में सांप्रदायिक सौहार्द नहीं बचा है। शबीबुल्लाह को यहां बदलाव की उम्मीद है।
बसपा के मैदान से बाहर होने के बाद भाजपा और सपा के बीच यहां सीधी जंग है। यही नहीं धीरे-धीरे तस्वीर भी साफ हो चली है। बसपा प्रत्याशी का नामांकन खारिज होने के बाद पार्टी के आधार वोटबैंक पर दोनों दलों की नजर है। यही कारण है कि करीब डेढ़ लाख मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
मत प्रतिशत तय करेगा जीत का आधार
बरेली कॉलेज के राजनीति शास्त्र विभाग की प्रो. वंदना शर्मा का मानना है कि संतोष गंगवार का टिकट कटने से गंगवार मतदाताओं में जो नाराजगी थी, भाजपा ने गंगवार उम्मीदवार मैदान में उतार कर उसे खत्म कर दिया। वहीं, बसपा के गंगवार उम्मीदवार का पर्चा खारिज होने से यहां गंगवार मतों के बंटवारों की आशंका भी खत्म हो गई है।
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