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नई दिल्ली6 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में एक जैसे नाम वाले उम्मीदवारों पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। शुक्रवार को जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सतीश चंद्रा और जस्टिस संदीप शर्मा की बेंच ने कहा कि अगर किसी का नाम राहुल गांधी या लालू यादव है तो उन्हें चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता।
कोर्ट ने कहा- बच्चों का नाम उनके माता-पिता रखते हैं। अगर किसी के माता-पिता ने किसी अन्य के जैसा नाम दिया है तो उन्हें चुनाव लड़ने से कैसे रोका जा सकता है? क्या इससे उनके अधिकारों पर असर नहीं पड़ेगा?
बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप जानते हैं मामले का हश्र क्या होगा। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली।
याचिकाकर्ता ने कहा था- एक नाम से वोटर कन्फ्यूज होते हैं
दरअसल, साबू स्टीफन नाम के याचिकाकर्ता ने कहा था कि हाई प्रोफाइल सीटों पर मिलते-जुलते नाम वाले दूसरे उम्मीदवार को चुनाव में उतारना पुराना ट्रिक है। इससे वोटरों के मन में कन्फ्यूजन पैदा होता है। एक जैसे नाम के कारण लोग गलत कैंडिडेट को वोट करते हैं और सही उम्मीदवार को नुकसान होता है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक पार्टियां जानबूझकर ऐसे कैंडिडेट मैदान में उतारती हैं। इसके बदले हमनाम उम्मीदवार को पैसे, सामान और कई तरह के फायदे मिलते हैं। उन्हें भारतीय राजनीतिक और प्रशासनिक प्रणाली की कोई जानकारी नहीं होती।
याचिका में चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी
याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे वकील वी के बीजू ने कहा कि वे यह दावा नहीं कर रहे है कि ऐसे सभी उम्मीदवार फर्जी होते हैं या उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है। हालांकि, हमनाम उम्मीदवारों से बचने के लिए एक प्रभावी जांच और सही मैकेनिज्म की जरूरत है।
वीके बीजू ने कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के नियम 22(3) का हवाला देते हुए मांग की थी कि दो या दो से अधिक उम्मीदवारों के नाम एक रहने पर उनके काम, निवास या किसी अन्य तरीके से की उनकी अलग पहचान की जानी चाहिए।
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