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नई दिल्ली3 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़ी तो हम नागरिकों की आजादी छीनने से बचाने के लिए दिशा-निर्देश तय करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से GST एक्ट के तहत 1 से 5 करोड़ रुपए के डिफॉल्ट के लिए जारी किए गए नोटिस और गिरफ्तारियों का डेटा मांगा है। कोर्ट ने कहा कि कभी-कभी गिरफ्तारियां नहीं की जाती हैं, लेकिन लोगों को नोटिस जारी करके, गिरफ्तारी की धमकी देकर परेशान किया जाता है।
कोर्ट ने GST एक्ट, कस्टम एक्ट और PMLA के प्रावधानों को चुनौती देने वाली 281 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। गुरुवार (2 मई) को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़ी तो हम नागरिकों की आजादी छीनने से बचाने के लिए दिशा-निर्देश तय करेंगे, लेकिन उन्हें परेशान नहीं होने देंगे।
दरअसल, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि GST एक्ट के तहत अधिकारी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हैं। कभी-कभी गिरफ्तारी नहीं की जाती है, लेकिन लोगों को नोटिस जारी करके गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है। यह लोगों की स्वतंत्रता को कम कर रहा है।
इस पर जस्टिस संजीव खन्ना, एमएम सुंदरेश और बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि सभी मामलों में लोगों को सलाखों के पीछे नहीं भेजा जा सकता है। बेंच ने कहा कि धोखाधड़ी के मामलों और अनजाने में हुई चूक के बीच अंतर होना चाहिए।
कोर्ट ने जीएसटी एक्ट की धारा 69 में गिरफ्तारी की शक्तियों पर स्थिति साफ न होने पर चिंता जाहिर की। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि वह सेंट्रल GST एक्ट के तहत नोटिस और गिरफ्तारियों से जुड़ा डेटा इकट्ठा करेंगे। हालांकि, राज्यों से संबंधित ऐसी जानकारी इकट्ठा करना मुश्किल होगा। मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी।
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