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ऋषि-वरुण ने स्वरों से हनुमत प्रभु के पखारे पांव
– फोटो : अमर उजाला
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संकटमोचन संगीत समारोह की पांचवीं निशा के अंतिम प्रहर में युवा कलाकार ऋषि-वरुण मिश्रा के स्वरों से विहान हुआ। उन्होंने जननी जननी मैं न जीयूं बिन राम… से विहान की अगवानी की। वहीं, शयन के बाद उठे हनुमत प्रभु के दर्शन को कतार लगी थी। जय श्रीराम, जय हनुमान और हर हर महादेव… के जयघोष हो रहे थे।
छठवीं प्रस्तुति लेकर रात करीब 1:30 बजे हैदराबाद के वरिष्ठ कलाकार डॉ. येल्ला वेंकटेश्वर राव मृदंगम के साथ मंचासीन हुए। उन्होंने सात मात्रा के मिश्र चापू ताल में टुकड़ा और तिहाई की प्रस्तुति दी। अद्धा और तिहाइयों का भी प्रयोग प्रशंसनीय रहा। डॉ. येल्ला ने मृदंगम पर ऐसा जादू चलाया कि श्रोता चकित हो गए। वायलिन पर श्रीधर ने संगत की। सातवीं प्रस्तुति भी खास रही।
पिता-पुत्र की जोड़ी ने सितार और तबले की प्रस्तुति बेजोड़ रही। कोलकाता के प्रख्यात कलाकार पं. नयन घोष अपने पुत्र ईशान घोष के साथ यादगार प्रस्तुति दी। उन्होंने सितार पर लुप्त हो रहे राग भटियार और राग रामकली को साधकर श्रोताओं को परिचित कराया। श्रोताओं के अनुरोध पर उन्होंने राग ब्रह्म ललित में निबद्ध ठुमरी ‘आई सावन की बहार’ का गायन करते हुए वादन किया।
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