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रुपेश कुमार सिंह। चतरा23 मिनट पहले
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झारखंड निर्माण के बाद पहली बार जिले के कान्हाचट्टी प्रखंड के राजपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत अति उग्रवाद प्रभावित सुदूरवर्ती गड़िया व पथेल के लोग अपने पोलिंग बूथ पर मतदान करेंगे। मतदाताओं के इस पुराने सपने को चतरा के नव पदस्थापित उपायुक्त रमेश घोलप व सुरक्षाबलों की संयुक्त टीम साकार करने में जुटी है। रमेश घोलप के प्रयास से अति उग्रवाद प्रभावित गड़िया और पथेल में पहली बार पोलिंग बूथ बनाया गया है। इससे पहले इन गावों के मतदाताओं को 10 किलोमीटर दूर दुरूह रास्तों से पैदल चलकर केंदुआ, सहोर और जशपुर में वोट देने के लिए जाना पड़ता था। पोलिंग बूथ की दूरी होने के कारण मतदान का प्रतिशत काफी कम रहता था। अब गांव में ही बूथ बन जाने से लोकसभा चुनाव में बंपर वोटिंग की संभावना है। मूलभूत सुविधाओं से महरूम रहे इस क्षेत्र में चतरा के तत्कालीन उपायुक्त अंजली यादव और पुलिस कप्तान राकेश रंजन की पहल पर सड़क, बिजली और पेयजल की व्यवस्था करवाई गई है। हालांकि अभी भी सड़क का निर्माण कार्य चल ही रहा है, परंतु यहां के ग्रामीण यहां हो रहे विकास को लेकर आशान्वित नजर आ रहे हैं। ग्रामीण गांव को विकास की पटरी पर लाने के लिए तत्कालीन उपायुक्त अंजली यादव को धन्यवाद देते थक नहीं रहे। बताते चले कि पहले नक्सलियों द्वारा इस इलाके में वोट बहिष्कार का भी फतवा जारी किया जाता था। नतीजा यह होता था कि लोग घरों से वोट देने तक नहीं निकलते थे। लेकिन गांव में सीआरपीएफ 190 बटालियन का कैंप अस्थायी रूप से स्थापित हो जाने के बाद अब नक्सलियों की भी आवाजाही न के बराबर हो गई है। अब ग्रामीणों को नक्सलियों के वोट बहिष्कार का भी डर नहीं है। ग्रामीण कहते हैं कि प्रशासन का पूरा साथ मिल रहा है। इसलिए हमलोग खुलकर और बेखौफ मतदान करेंगे। ग्रामीण कहते हैं कि तत्कालीन उपायुक्त अंजली यादव व एसपी राकेश रंजन के प्रयास से सड़क, विद्युत और पेयजल की व्यवस्था हो गई है। अब गांव में शिक्षा और स्वास्थ्य की पूर्ण व्यवस्था हो। ग्रामीण एक उच्च विद्यालय और अस्पताल की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय गड़िया है, जहां 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है। लेकिन यह एक मात्र शिक्षक के सहारे ही चल रहा है। यहां भी अन्य विषयों के शिक्षक की बहाली हो। वहीं चतरा के वर्तमान उपायुक्त रमेश घोलप ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि 20 मई को आम चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। इन क्षेत्रों में हमेशा मतदान प्रतिशत कम रहा है। 50 से 51 प्रतिशत ही रहा है। आज के समय में दोगुना से ज्यादा वोटर हैं। इसी को देखते हुए गड़िया अमकुदर में बूथों की स्थापना पहली बार की गई है। इसके पूर्व क्षेत्र का सर्वे कर डोर टू डोर जाकर लोगों को जोड़ा भी गया है। अपील भी किया गया है कि लोग मतदान कार्य में पीछे न रहें। डीसी ने उम्मीद जाहिर की है कि इस बार के चुनाव में 80 प्रतिशत से ज्यादा वोट होंगे। उपायुक्त ने कहा है कि जिला प्रशासन का यह प्रयास रहेगा कि यहां के लोगों को अहसास दिलाएंगे कि नक्सलियों के चंगुल से हटने के बाद क्षेत्र का कितना विकास हुआ। उन्होंने चुनाव के बाद क्षेत्र में विकास कार्य करवाने का वादा किया। वहीं एसपी विकास पांडेय ने कहा कि चुनाव आयोग के निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। शांतिपूर्ण चुनाव करवाने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पूरी तरह से तैयार है। फोर्स की पूरी व्यवस्था रहेगी। उन्होंने मतदाताओं ने निर्भीक होकर मतदान की अपील की। आपको बताते चलें कि राजपुर थाना क्षेत्र का गड़िया,अमकुदर, पथेल व बनियाबांध गांव को नीचे घाट भी कहा जाता है। यह नीचे घाट उस वक्त सुर्खियों में आया जब वर्ष 1997 में भाकपा माले के 11 लोगों को भाकपा माओवादी के उग्रवादियों ने मार कर नरसंहार को अंजाम दिया था। इस नरसंहार की घटना के बाद इस क्षेत्र पर माओवादियों का कब्जा हो गया। बिहार के बाराचट्टी के करीब के इन गावों में माओवादियों का एकक्षत्र साम्राज्य था। पहाड़ और जंगलों से घिरे इन गावों में नक्सलियों की तूती बोलती रही है। यहां के लोग नक्सलियों के समर्थन से अफीम और गांजा की खेती के लिए भी जाने जाते रहे हैं।
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