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दिल्ली हाई कोर्ट ने गिरफ्तार किए गए नेताओं के द्वारा चुनाव-प्रचार करने को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। अदालत में एक याचिका दायर कर यह मांग की गई थी कि गिरफ्तार किए गए राजनेताओं को लोकसभा चुनाव में वर्चुअल मोड में चुनाव-प्रचार करने की इजाजत दी जाए। अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया है। इसी के साथ हाई कोर्ट ने इसे काफी साहसिक (Adventurous) बताया है।
‘Live Law’ ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि अदालत में कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि यह काफी साहसी याचिका है और कानून के मौलिक सिद्धांतों के विपरित है। अदालत में यह याचिका लॉ के एक छात्र ने लगाई थी। अदालत ने याचिकाकर्ता को भी फटकार लगाई है। यह याचिका कानून के एक छात्र अमरजीत गुप्ता ने लगाई थी। वो लॉ फाइनल वर्ष के छात्र हैं। उन्होंने एडवोकेट मोहम्मद इमरान अहमद के जरिए यह याचिका लगाई थी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस याचिका में यह भी गुहार लगाई गई थी कि अदालत केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वो किसी राजनेता या किसी उम्मीदवार की गिरफ्तारी की सूचना तुरंत चुनाव आयोग को दें। जब दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच ने कहा है कि वो याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाएगी तब उनके वकील ने अदालत के समक्ष गुहार लगाई कि याचिकाकर्ता कानून के छात्र हैं इसलिए उनपर जुर्माना ना लगाया जाए। इसके बाद अदालत ने वकील से कहा कि वो छात्र को यह समझाएं कि शक्तियों के बंटवारे की अवधारणा क्या है और न्यायिक शक्तियों की सीमा के बारे में भी बताएं।
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