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मनरेगा घोटाले में निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की जमानत अर्जी सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दी। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज की खंडपीठ ने कहा कि पूजा सिंघल के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। हम जल्दबाजी में सुनवाई नहीं कर सकते। हम उम्मीद करते हैं कि ट्रायल कोर्ट इस मामले में तेजी से सुनवाई करेगा।
उल्लेखनीय है कि पूजा सिंघल ने जमानत याचिका में कहा था कि वह 11 मई 2022 से जेल में हैं। उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। रिम्स में इलाज भी चल रहा है। वह 585 दिनों से जेल में बंद हैं। ईडी ने उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। ऐसे में उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।
सिर्फ 231 दिन जेल में बिताए: ईडी
ईडी की ओर से बताया गया कि पूजा सिंघल ने हिरासत अवधि में जेल से ज्यादा समय अस्पताल में बिताया है। उन्होंने सिर्फ 231 दिन जेल में बिताए हैं। 303 दिन वह अस्पताल में रही हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मामला है। हम तत्काल बेल नहीं दे सकते।
यह भी जानिए: झारखंड स्टेट बार कौंसिल को 18 माह का अवधि विस्तार देने पर मांगा जवाब
झारखंड स्टेट बार कौंसिल का कार्यकाल समाप्त होने पर उसे 6 माह की कार्य अवधि का विस्तार मिलने के बाद पुन 18 माह का विस्तार देने के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने बार कौंसिल ऑफ इंडिया को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में संजय कुमार तिवारी ने याचिका दायर की है।
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता नीलेश कुमार ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि झारखंड स्टेट बार कौंसिल का कार्यकाल जुलाई 2023 में समाप्त हो गया था। इसके बाद उसे छह माह का अवधि विस्तार दिया गया था, जो जनवरी 2024 में समाप्त हो गया। इसके बाद बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने पत्र जारी कर स्टेट बार कौंसिल के कार्यकाल को 18 माह का अवधि विस्तार दिया है, जो गलत है। उनका कहना था कि स्टेट बार कौंसिल के कार्यकाल में एडवोकेट एक्ट 1961 के तहत केवल छह माह का ही अवधि विस्तार दिया जा सकता है। इसके बाद बार कौंसिल ऑफ इंडिया की ओर से 18 माह का फिर से कार्य अवधि विस्तार देना एडवोकेट एक्ट के खिलाफ है।
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