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Lok Sabha Election 2024
– फोटो : अमर उजाला
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वाराणसी शहर के 80 फीसदी युवाओं को राजनीतिक दलों के घोषणापत्र पर भरोसा नहीं है। उनका कहना है कि घोषणापत्र के वादे सिर्फ लुभावने होते हैं। उन्हें पूरा नहीं किया जाता है। 60 फीसदी युवा ऐसे हैं, जो नोटा पसंद नहीं करते हैं। वे कहते हैं, जब नोटा विजेता घोषित नहीं हो सकता तो इसका कोई मतलब नहीं है। हमें मुखर होकर हमारे मुद्दों को जनप्रतिनिधियों के सामने रखने चाहिए और किसी न किसी प्रत्याशी को ही वोट देना चाहिए। 40 फीसदी युवा मानते हैं कि नोटा मतदाताओं के लिए ताकतवर हथियार है।
अमर उजाला ने शहर सात शैक्षिक संस्थानों के शिक्षक और छात्रों के साथ मिलकर युवाओं से लोकसभा चुनाव के मुद्दों पर बात की है। 25 से 29 अप्रैल के बीच करीब 4000 युवाओं से अलग-अलग मुद्दे पर बात की गई। इससे पता चला कि 20 फीसदी युवा राजनीति में कॅरिअर नहीं बनाना चाहते हैं। इसके लिए वे परिवारवाद और जातिवाद को दोषी ठहराते हैं।
युवाओं का कहना है कि बड़े नेताओं के घर जन्म लेने वाले ही राजनीति की ऊंचाई पर पहुंचते हैं। जन्म के साथ ही सीट व चुनाव का क्षेत्र तय हो जाता है। फिर चाहे वह योग्य हो या नहीं। राजनीति भी अब रुपयों पर आधारित रह गई है। जाति फैक्टर काम करता है। हर राजनीतिक दल जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर ही टिकट का बंटवारा करता है।
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