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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
– फोटो : अमर उजाला
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति पैनल प्रक्रिया के मामले में उच्च न्यायालय इलाहाबाद में 29 अप्रैल को हुई सुनवाई पर एएमयू समेत दुनियाभर में फैले अलीग बिरादरी के लोगों की निगाहें लगी रहीं।
सुबह से ही हर कोई उच्च न्यायालय में सुनवाई के बाद हुए निर्णय के बारे में जानने को उत्सुक था। हर विभाग में भी इसी बात की चर्चा थी कि कुलपति पैनल को लेकर फैसला क्या आएगा, लेकिन जैसे ही प्रकरण की सुनवाई से जुड़े न्यायमूर्ति के खुद को अलग कर लेने को जानकारी मिली। वैसे ही अब इस मामले में सुनवाई कौन न्यायमूर्ति करेंगे, इस पर चर्चा शुरू हो गई। इस मामले में जामिया मिल्लिया इस्लामिया दिल्ली के सैयद अफजल मुर्तजा रिजवी ने एएमयू के कुलपति पैनल के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। उधर, शिक्षा मंत्रालय द्वारा कुलपति पैनल में तीन नामों में शामिल प्रो. नईमा खातून को कुलपति नियुक्त किया जा चुका है।
कुलपति पैनल में शामिल तीन में से एक प्रो. फैजान मुस्तफा को जानने के चलते न्यायमूर्ति ने खुद को इस सुनवाई से अलग कर लिया, उन्होंने इंसाफ का साथ दिया है। केवल एक व्यक्ति को जानने के चलते वह सुनवाई से अलग हो गए, लेकिन कुलपति पैनल प्रक्रिया में पत्नी प्रो. नईमा खातून के अभ्यर्थी होने के बावजूद ईसी बैठक अध्यक्षता करने के साथ ईसी और कोर्ट में कार्यवाहक कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने वोट भी किया था। यह नैतिकता के खिलाफ है।-डॉ. अशरफ मतीन, शिक्षक, एएमयू
न्यायालय में जो याचिका दायर की गई थी, वह सही है। कुलपति पैनल प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई थी। अभ्यर्थी पत्नी को वोट देना और कार्यवाहक कुलपति द्वारा अध्यक्षता करना नियम के विरुद्ध था। केवल एक अभ्यर्थी को जानने-पहचानने के चलते न्यायमूर्ति ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, लेकिन एएमयू में कुलपति पैनल प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी की गई। अदालत के फैसले पर यकीन है। -डॉ. उबैद सिद्दीकी, सचिव, अमुटा
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