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UP Election
– फोटो : अमर उजाला
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अवध के तीन मंडलों में शामिल देवीपाटन की सियासी धमक सूबे में अलग ही है। यहां के चारों लोकसभा क्षेत्रों की अपनी खास राजनीतिक रसूख भी है। भले अभी तीन सीटों पर ही प्रत्याशियों का दम दिख रहा है, लेकिन बिना लड़ाके के ही कैसरगंज में सियासी शोर मचा हुआ है।
पार्टियों की चौखट से टिकट के बाहर आने के इंतजार में भी रोमांचक दौर चल रहा है, वहीं तीन अन्य सीटों पर रियासत, विरासत और वर्चस्व की जंग देखते ही बन रही है। मतदाताओं को साधने में पूरे दिन झुलस रहे रणबांकुरों पर सहालग का मरहम भी है। शाम की पारी निमंत्रण के बहाने ही सही, राजनीति में रंग और रम जा रही है।
अयोध्या से सटी गोंडा संसदीय सीट पर रियासत के सियासी सफर को कायम रखने की कशमकश दिख रही है। यहां विरासत को मुकाम देने की जद्दोजहद भी है। चुनौती ऐसी है कि राजनीतिक महारथियों के माथे पर बल भी दिख रहा है। पांचवीं बार संसद की दहलीज लांघने को बढ़ रहे कदम के सामने सियासी घराने की पीढ़ी को भी चुनौती मिल रही है।
यहां का चुनाव दिनोंदिन जातीय समीकरण की ओर बढ़ रहा है। गोंडा संसदीय सीट से सटे श्रावस्ती संसदीय क्षेत्र में भी विरासत व विकास की सियासत चरम पर है। दलों ने प्रत्याशियों को उतारकर राजनीतिक माहौल को नया मोड़ तो दिया है, लेकिन चुनाव सीमित दायरे में सिमटता दिख रहा है।
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