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दिल्ली के सरकारी स्कूलों में किताबों की आपूर्ति न होने को लेकर शुक्रवार को हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार और MCD को कड़ी फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट ने यह डांट एक PIL (जनहित याचिका) की सुनवाई करते हुए लगाई थी, जिसे एक वकील अशोक अग्रवाल दायर किया है। शनिवार को अग्रवाल ने अपनी इस याचिका को लेकर बात की। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी द्वारा अपने विज्ञापनों में सरकारी स्कूलों का जो चित्रण किया जाता है, वह जमीनी हकीकत से बिल्कुल अलग है। अग्रवाल ने दावा किया कि MCD के अंतर्गत आने वाले स्कूलों में करीब 8 लाख बच्चे पढ़ते हैं और इनमें से किसी को भी किताबें, कॉपियां और ड्रेस नहीं मिली है।
अग्रवाल के मुताबिक, एक तरफ दिल्ली सरकार अपने विज्ञापनों में विश्वस्तरीय स्कूल चलाने का दावा करती है, वहीं दूसरी तरफ इन स्कूलों की वास्तविकता बहुत ही अलग है। उन्होंने बताया कि इन स्कूलों के क्लासरूम्स में बहुत ज्यादा संख्या में बच्चे हैं और पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं।
अग्रवाल ने कहा, ‘कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बिल्कुल सही फटकार लगाई है। वे लोग अपने विज्ञापनों में बताते हैं कि वे विश्वस्तरीय संस्थान चला रहे हैं, जबकि वास्तविकता पूरी तरह से अलग है। मैं दिल्ली सरकार और MCD (दिल्ली नगर निगम) द्वारा चलाए जा रहे बहुत से स्कूल देखे हैं, मैंने दिल्ली की एक क्लास में 140 स्टूडेंट्स को भी बैठे देखा है… वहां तीन सेक्शन के बच्चे एक ही क्लास में बैठे हुए थे… वहां पानी तक की व्यवस्था नहीं थी और यही स्थिति मैंने दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में भी देखी।’
आगे उन्होंने कहा, ‘मुद्दा यह है कि MCD के स्कूलों में 8 लाख बच्चे पढ़ते हैं, और उन्हें शिक्षा के अधिकार कानून के तहत छात्र-छात्राओं को पाठ्यपुस्तकें, नोटबुक्स, लेखन सामग्री और यूनिफॉर्म्स पाने का अधिकार है। इन 8 लाख बच्चों में से एक छात्र-छात्रा को भी इनमें से कुछ नहीं मिला है। इसी तरह दिल्ली सरकार के स्कूलों में राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत कक्षा 1 से 8 तक में 10 लाख बच्चे पढ़ते हैं। उन्हें अब जाकर कॉपी-किताबें मिलेंगी, जब हाईकोर्ट ने उन्हें (दिल्ली सरकार व MCD) फटकार लगाई है। वर्ना अबतक किसी बच्चे को किताबें नहीं मिली थीं।’
इससे पहले शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2 लाख छात्रों को पाठ्यपुस्तकों की आपूर्ति न करने को लेकर केजरीवाल सरकार और दिल्ली नगर निगम (MCD) को कड़ी फटकार लगाई थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश (ACJ) मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा भी शामिल थे, जिन्होंने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली MCD पर नाराजगी जताई और कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपनी गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा नहीं देकर व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखा है।
साथ ही अदालत ने दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज को भी फटकार लगाई थी और कहा था कि AAP नेता ने छात्रों की दुर्दशा पर आंखें मूंद ली हैं और वे घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। अदालत ने इसे सत्ता का सर्वोच्च अहंकार कहा था।
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